उन्नाव: सीएमओ कार्यालय की ओर से स्वास्थ्य विभाग में नियमों को ताक पर रख गड़बड़ घोटाला करने के मामले में सीएमओ प्रशासन पर शिकंजा कस गया है. नियमों के खिलाफ खरीदारी कर गड़बड़ी करने की शिकायत पर जिलास्तर पर की गई जांच में सीएमओ को दोषी करार दिया गया था. डीएम की ओर से शासन को भेजी गई जांच रिपोर्ट को शासन ने गंभीरता से लिया है. शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव ने सीएमओ को आरोप पत्र देकर जवाब तलब किया है.
सात जुलाई को ईटीवी भारत ने सीएमओ ऑफिस में खरीद फरोख्त मामले में हुए घोटाले की खबर को प्रमुखता से उठाया था. इसके बाद उन्नाव के जिलाधिकारी ने सिटी मजिस्ट्रेट की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर जांच कराने का आदेश दिया. जांच के बाद कमेटी ने जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट सौंप दिया. इसके बाद जिलाधिकारी ने उस रिपोर्ट को शासन को भेज दिया, जिसमें सीएमओ को दोषी पाया गया था.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि यह मामला वित्तीय वर्ष 2018-19 में फरवरी और मार्च 2019 में स्वास्थ्य विभाग द्वारा साज-सज्जा फर्नीचर आदि सामग्री करने के दौरान हुई थी. अलग-अलग बजट से मिले धन में लगभग 1.10 करोड़ की खरीद की गई थी. मई में कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने डीएम से खरीद में गड़बड़ घोटाला होने की शिकायत की, जिस पर डीएम ने नगर मजिस्ट्रेट और वित्त एवं लेखाधिकारी और समाज कल्याण अधिकारी की 3 सदस्यीय कमेटी की जांच करने का आदेश दिया था.
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जांच समिति ने खरीदारी में नियमों का पालन न करने की पोस्ट की थी. जांच रिपोर्ट दो माह से दबी रही, जिसके बाद मामले को ईटीवी भारत ने उठाया और सीडीओ की अध्यक्षता में दोबारा जांच समिति गठित कर जांच कराई गई. इस जांच में सीडीओ ने सीएमओ को दोषी ठहराते हुए जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी. इसके बाद जिलाधिकारी ने तुरंत रिपोर्ट शासन को भेज दी, जिसके बाद शासन से राज्यपाल के निर्देश पर सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने 9 अगस्त को सीएमओ को आरोप पत्र भेज निर्देश दिया है कि वह 15 दिन अपने आरोपों के संबंध में अपना पक्ष रखें. वहीं सीएमओ से इन आरोपों का जवाब मांगा गया है.