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उन्नाव में चार साल से अधूरा पड़ा बाईपास का निर्माण, राहगीर परेशान - बाईपास का निर्माण अधूरा

तत्कालीन सरकार में 43.32 करोड़ की लागत से साढे 9.5 किलोमीटर लंबा बाईपास बनना था. लेकिन लापरवाही के चलते आगे का निर्माण अब तक नहीं हो सका है. धिकारियों का कहना है कि जल्द ही जगह को चिन्हित कर वन विभाग को दे दिया जाएगा.

दही चौकी पावर हाउस बाईपास
दही चौकी पावर हाउस बाईपास

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Published : Nov 23, 2020, 10:46 AM IST

उन्नाव: सरकारी लापरवाही के चलते जिले में बीते चार सालों से बाईपास का निर्माण कार्य अधर में लटका है. उन्नाव दोस्तीनगर अग्नि शमन प्रशिक्षण केंद्र से दही चौकी पावर हाउस तक बाईपास का निर्माण साल 2016- 17 से शुरू किया जाना था. जिसके बाद ठेका होने के बाद लगभग 1.5 किलोमीटर का मार्ग का निर्माण किया गया. लेकिन लापरवाही के चलते आगे का निर्माण अब तक नहीं हो सका है.

अधूरा पड़ा बाईपास का निर्माण

बता दें कि तत्कालीन सरकार में 43.32 करोड़ की लागत से साढे 9.5 किलोमीटर लंबा यह बाईपास बनना था. लेकिन महज डेढ़ किलोमीटर बनने के बाद यह रुक गया. बताया जा रहा है कि जिस जगह से इस बाईपास को गुजरना था वहां वन विभाग की जमीन थी. लेकिन बीते 3 सालों से पीडब्ल्यूडी विभाग इस जगह पर जगह चिन्हित वन विभाग को देने के लिए नहीं कर सका. जिसका नतीजा यह निकला कि 4 साल बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. अभी भी वन विभाग को जमीन देने की प्रक्रिया चल रही है.

वहीं अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही जगह को चिन्हित कर वन विभाग को दे दिया जाएगा. जिसके बाद एक बार फिर निर्माण प्रक्रिया शुरू हो सकेगी. वहीं स्थानीय लोग बीच शहर से ट्रक निकलने की वजह से परेशान हैं. लोगों का आरोप है कि आए दिन ट्रकों की वजह से हादसे होते रहते हैं. लेकिन अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं. गुरुवार को भी एक डंफर ने बाइक सवार को रौंद दिया. हालांकि हादसे में दोनों युवकों की जान बच गई. लेकिन गंभीर हालत में वे अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.


जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब उन्नाव शुक्लागंज रोड का उद्घाटन हुआ था. मैंने मुख्यमंत्री के सामने प्रस्ताव रखा था कि उन्नाव दही चौकी से उन्नाव दोस्ती नगर तक एक बाईपास निकाल दिया जाए. लेकिन दुर्भाग्य है हमारा जब उन्नाव में मुख्यमंत्री ने घोषणा की और उसके तीसरे दिन के बाद ही सड़क का संस्तुति लेटर आ गया. उस समय डीएम सुरेंद्र कुमार थे और उन्होंने संस्तुति लेटर आने के बाद उस रोड़ पर विधिवत काम भी लगवायाय लेकिन 2017 में अखिलेश यादव सरकार चली गई. उसके बाद बीजेपी की सरकार बनी. जो रोड़ अधूरी छोड़ दी गई थी उसके लिए 866 लाख रुपये भी आ गए. लेकिन रोड़ का काम नहीं हुआ. लगभग चार साल हो गए पर वो रोड़ अधूरी पड़ी हुई है. ये भाजपा की और अधिकारियों की उदासीनता की वजह से पड़ी हुई है. अगर बीजेपी सरकार में सड़क न बन पाई, तो अखिलेश यादव 2022 में मुख्यमंत्री बनेंगे और सबसे पहले इस सड़क का कार्य करेंगे.

-राजेश यादव, पूर्व महासचिव, समाजवादी पार्टी

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