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मौत को दावत देता पुल, जान हथेली पर लेकर गुजरते हैं लोग - विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित

विकास का दरिया बहा देने का दावा करने वाली सरकार की हकीकत अगर देखनी है तो उन्नाव चले आइए. राजधानी लखनऊ से सटे जनपद उन्नाव में लोग मूलभूत जरूरतों के लिए भी तरस रहे हैं. यहां विकास के दावे तो बहुत किए गए लेकिन तमाम सरकारें और आला अफसर यहां एक पुल नहीं बनवा सके. आज गांव के लोग जान हथेली पर रखकर हर रोज एक लकड़ी की जुगाड़ू पुल के सहारे आने-जाने को मजबूर हैं.

मौत को दावत देता पुल
मौत को दावत देता पुल

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Published : Jan 7, 2021, 12:55 PM IST

Updated : Jan 7, 2021, 2:39 PM IST

उन्नाव : विकास का दरिया बहा देने का दावा करने वाले नेताओं की हकीकत अगर देखनी है तो उन्नाव चले आइए. राजधानी लखनऊ से सटे जनपद उन्नाव में लोग मूलभूत जरूरतों के लिए भी तरस रहे हैं. यहां विकास के दावे तो बहुत किए गए लेकिन तमाम सरकारें और आला अफसर यहां एक पुल नहीं बनवा सके. उन्नाव के दूली खेड़ा गांव के पास से गुजरी पांडु नदी के ऊपर बने पुल के टूट जाने के बाद से, ग्रामीण 10 साल से उस पुल के बनने का इंतजार कर रहे हैं. पुल के नहीं बनने पर ग्रामीणों ने लकड़ी से जुगाड़ू पुल का निर्माण कर दिया है. अब लोग जान हथेली पर रखकर इस लकड़ी के पुल से गुजरने को मजबूर हैं.

सरकारी दावों की पोल खोलती इस गांव की ये तस्वीर.
"तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, यह आंकड़े झूठे हैं दावा किताबी है" अदम गोंडवी की लिखी ये लाइनें उन्नाव के गांव के विकास की हकीकत बयां करने के लिए एकदम फिट बैठती हैं. उन्नाव के बीघापुर तहसील के दूली खेड़ा गांव की करीब 10000 की आबादी आज भी विकास से कोसों दूर है. क्योंकि यहां रहने वाले लोग आज भी गांव में आने-जाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं.
सरकारी दावों की पोल खोलती इस गांव की ये तस्वीर.

10 साल पहले टूटा था पुल

आपको बता दें कि पांडु नदी पर बने पुल का एक हिस्सा आज से करीब 10 साल पहले बाढ़ में बह गया था. जिसके बाद ग्रामीणों ने जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से पुल के निर्माण के लिए निवेदन किया, लेकिन पुल नहीं बन सका. जिसके बाद ग्रामीणों ने पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से पर बांस-बल्ली के सहारे जुगाड़ू पुल बनाकर आवागमन शुरू कर दिया. प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक उपेक्षा के कारण आज 10 साल के बाद भी इसी जुगाड़ू पुल के सहारे लोग पैदल, साइकिल और मोटरसाइकिल लेकर निकलने को मजबूर हैं.

सरकारी दावों की पोल खोलती इस गांव की ये तस्वीर.

दूसरे जनपद से आना पड़ता है अपने जनपद

इस पुल से नहीं निकलने पर गांव के लोगों को अपने गांव व घर आने-जाने के लिए फतेहपुर जनपद से होकर जाना पड़ता है. लोग रहते तो उन्नाव जनपद में हैं लेकिन तहसील मुख्यालय आने के लिए इन लोगों को करीब 15 किलोमीटर पहले फतेहपुर जनपद में जाना पड़ता है. उसके बाद बक्सर स्थित गंगा पुल से होकर तहसील मुख्यालय पहुंचते हैं. दूलीखेड़ा ग्राम पंचायत में 12 मजरे हैं जिनमें करीब 10000 की आबादी रहती है.

सरकारी दावों की पोल खोलती इस गांव की ये तस्वीर.
आज भी पुल के निर्माण की आस देख रहे ग्रामीण

दूलीखेड़ा गांव के रहने वाले रतीराम यादव बताते हैं कि यहां के विधायक विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित हैं. उन लोगों के द्वारा निवेदन करने के बाद भी यह पुल नहीं बन सका है. रतीराम यादव ने बताया कि उनके गांव में जो मूलभूत जरूरतें हैं, वही अभी नहीं पूरी हो सकी हैं. जब से विधायक चुनाव जीते हैं तब से आज तक उनके गांव नहीं आए हैं.

सरकारी दावों की पोल खोलती इस गांव की ये तस्वीर.

स्कूल जाने वालों को भी लगाना पड़ता है चक्कर

बीएससी सेकंड ईयर में पढ़ने वाले आशीष यादव ने बताया कि उनको कार ले जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ता है. उन्होंने बताया कि इस लकड़ी के पुल से गुजर कर कई लोग कई बार घायल भी हो चुके हैं, लेकिन पुल आज तक नहीं बना.

सरकारी दावों की पोल खोलती इस गांव की ये तस्वीर.

लड़के-लड़कियों की शादी में भी बाधा बना पुल

दूलीखेड़ा गांव के प्रधान प्रतिनिधि श्री कृष्ण यादव ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस पुल के टूट जाने के बाद उन्होंने कई बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से इस पुल के बनवाने के लिए गुजारिश की. लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने बताया कि इस पुल से नहीं जाने पर उन्हें गैर जनपद फतेहपुर से होकर अपने जनपद उन्नाव आना पड़ता है. साथ ही यदि किसी की तबीयत खराब होती है तो एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है. उन्होंने एक चौकाने वाली बात बताते हुए कहा कि इस पुल के टूट जाने से उनके गांव के लड़के व लड़कियों की शादी होने में भी खासी समस्याएं आ रही हैं. गांव के लोग चाहते हैं कि यह पुल तत्काल बन जाए ताकि गांव की जो समस्याएं हैं उनका जल्द निदान हो सकें. अब देखना है कि अब भी सरकार का ध्यान इस गांव की परेशान जनता की तरफ जाता है या नहीं.

Last Updated : Jan 7, 2021, 2:39 PM IST

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