उन्नाव: गरीबी एक ऐसा अभिशाप होती है जो इंसान को इस कदर लाचार और मजबूर बना देती है कि जिंदगी उसे बोझ लगने लगती है. उन्नाव के पिण्डोखा गांव के रहने वाले रामसहाय के परिवार के भी कुछ ऐसे ही हाल हैं. गरीबी नाम के इस अभिशाप ने रामसहाय से उसके इकलौते बेटे को दूर कर दिया है. बूढ़े पिता का सहारा बनने के लिए पैसा कमाने की उम्मीद में प्रमोद सऊदी अरब चला गया. बेटे को पैरों पर खड़ा होते देख पूरा परिवार बेहद खुश था लेकिन ये खुशियां उस समय मातम में बदल गईं जब एक दिन बेटे ने फोन करके खुद के बंधक होने की बात कही. तब से अब तक पांच महीन गुजर चुके हैं. बूढ़ा पिता अपने बेटे की रिहाई के लिए जन प्रतिनिधियों के चक्कर काट रहा है. रामसहाय पीएम मोदी से बेटे की वापसी के लिये गुहार लगा चुके हैं लेकिन उन्हें अभी कोई जबाव नहीं मिला है.
- उन्नाव के पिण्डोखा गांव के रहने वाले रामसहाय का बेटा प्रमोद पैसा कमाने के लिए नौकरी की तलाश करने लगा.
- इस दौरान मुंबई के एक दलाल से प्रमोद का संपर्क हुआ, जिसने इंडियन ओवरसीज सर्विसेज कंपनी के जरिये सऊदी अरब में नौकरी दिलाने की बात कही.
- इसके बदले में 40 हजार रुपये मांगे. विदेश जाने के नाम पर प्रमोद के दोस्त राहुल और सचिन भी नौकरी के लिए तैयार हो गए.
- इसके बाद तीनों दोस्तों ने दलाल को 1 लाख 20 हज़ार रुपये दिए और मार्च 2019 में सऊदी अरब के लिए रवाना हो गए.
- बेटे की नौकरी लगने से पूरे परिवार में खुशी की लहर थी.
- 2 जून को प्रमोद ने फोन करके अपने और दोस्तों के बंधक बनाए जाने की सूचना परिवार वालों को दी.
- खबर सुनते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया.