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स्वाधीनता की लड़ाई में राजा राव राम बक्श सिंह का बलिदान अविस्मरणीय: हृदय नारायण दीक्षित

1857 की क्रांति के महानायक शहीद राव राम बक्श सिंह का 161वां बलिदान दिवस मनाया गया. इस अवसर पर यूपी विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित भी कार्यक्रम में मौजूद रहे. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने कहा भारतीय इतिहास में राव रामबख्श सिंह की शहादत को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.

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शहीद राव राम बक्श सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित किए.

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Published : Dec 29, 2019, 9:52 AM IST

उन्नाव: भगवंत नगर विधानसभा के बक्सर में 1857 की क्रांति के महानायक शहीद राव राम बक्श सिंह का 161 वां बलिदान दिवस मनाया गया. इस अवसर पर यूपी विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित भी कार्यक्रम में मौजूद रहे. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने शहीद राव राम बक्श सिंह के क्रांति में दिए गए अतुल्नीय योगदान को याद किया. उन्होंने कहा भारत के स्वतंत्रता की लड़ाई में राजा राव राम बक्स सिंह का योगदान अविस्मरणीय है.

शहीद राव राम बक्श सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित किए.

शहीद राव राम बक्श सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित किए
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष और उन्नाव जिले की प्रभारी मंत्री कमल रानी भी शामिल हुईं और शहीद राव राम बक्श सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. कार्यक्रम में बोलते हुए हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि यूं तो भारत को स्वाधीन कराने में बहुत सी लड़ाइयां लड़ी गईं. जहां एक ओर गांधी जी अपनी विचारधारा को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे. वहीं दूसरी ओर चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह भी अपनी विचारधारा से देश को आजाद कराने की लड़ाई लड़ रहे थे.

राष्ट्र की रक्षा के लिए हंसकर फंदे को लगाया गले

हृदय नारायण दीक्षित ने आगे कहा कि इसी क्रम में राजा राव राम बक्श सिंह जैसे क्रांतिकारी राजा भी रहे जो अपनी राजशाही व्यवस्था को छोड़कर अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते रहे. अगर वह चाहते तो अंग्रेजों से समझौता कर अपना राजपाठ बचाए रखते और सुखमय जीवन जीते, लेकिन उन्होंने भारतीयता को जीते हुए राष्ट्र की रक्षा की.

भारतीय इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा राव राम बक्श सिंह का नाम
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि शहीद राव राम बक्श सिंह अपनी सांस्कृतिक लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए देश को आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया और खुशी-खुशी फांसी के फंदे को गले लगा लिया. इसलिए उनकी शहादत अविस्मरणीय है. भारतीय इतिहास में राव रामबख्श सिंह की शहादत को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा और जब तक भारत का इतिहास चलेगा तब तक राव राम बक्श सिंह को हम भारतीय भुला नहीं सकेंगे.

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