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लखनऊ: वार्षिक राजस्व आवश्यकता पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई, फैसला सुरक्षित

राजधानी लखनऊ में पावर ट्रांसमिशन कम्पनी के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) पर विद्युत नियामक आयोग में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सार्वजनिक सुनवाई हुई. इस दौरान ट्रांसमिशन निगम लिमिटेड के निदेशकों सहित प्रबंध निदेशक और अन्य उपभोक्ताओं ने अपनी बात रखी.

 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई

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Published : Jul 2, 2020, 10:14 PM IST

लखनऊ: पावर ट्रांसमिशन कम्पनी के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) पर विद्युत नियामक आयोग में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सार्वजनिक सुनवाई हुई. पावर ट्रांसमिशन निगम ने सुनवाई शुरू होते ही ट्रांसमिशन टैरिफ बढ़ाने की मांग की तो उपभोक्ता परिषद ने बढ़ोतरी का कड़ा विरोध किया. आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने मामले को गम्भीरता से परखने के बाद फैसला सुनाने की बात कही. ट्रांसमिशन निगम लिमिटेड के निदेशकों सहित प्रबंध निदेशक और अन्य उपभोक्ताओं ने अपनी बात रखी.


राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उप्र पावर ट्रांसमिशन निगम लि. द्वारा वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) लगभग 3909 करोड़ मांगा है. ट्रांसमिशन लॉस लगभग 3.50 प्रतिशत प्रस्तावित किया है. ट्रांसमिशन टैरिफ 0.34 पैसे प्रति यूनिट की मांग की है. अब ट्रांसमिशन सबसे पहले अपना सिस्टम सही करे फिर टैरिफ बढ़ाने की बात करे. ट्रांसमिशन कम्पनी ने अपना कैपिटल इन्वेस्टमेंट 4810 करोड़ रुपये बताया, वह बहुत ज्यादा है.

ट्रांशमिशन कम्पनी के कामों पर पिछले दिनों सीएजी ऑडिट ने भी सवाल उठाया था. कहा था कि ठेकेदारों से बिना उपयोगिता सर्टिफिकेट लिए 492 करोड़ रुपये का पेमेंट कर दिया, जो गंभीर मामला है. वर्तमान में ट्रांशमिशन टैरिफ जो लगभग 0.18 पैसा प्रति यूनिट है, उसे सीधे बढ़ाकर 0.34 पैसा प्रति यूनिट यानी लगभग 84 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव पूरी तरह गलत है. इसे खारिज किया जाना चाहिए. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने बात रखी कि जो ट्रांशमिशन लॉसेस 3.50 प्रतिशत है, वह भी काफी ज्यादा है. आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान की तरह ही ट्रांशमिशन लॉसेस अनुमोदन करना जरूरी है. किसी भी हालत में 2.86 प्रतिशत से ज्यादा अनुमोदित नहीं किया जाना चाहिए.

वर्तमान में ट्रांसमिशन कम्पनी टैरिफ में 84 प्रतिशत की वृद्धि चाह रही है, लेकिन उसका सिस्टम मिसमैच है. पहले उसमें सुधार होना चाहिए. 132 केवी सब स्टेशनों की कुल क्षमता 50410 एमवीए है, उसे यदि किलोवाट में निकाला जाए तो वह 4 करोड़ 53 लाख किलोवाट होगा, वहीं प्रदेश के लगभग 2 करोड़ 85 लाख विद्युत उपभोक्ताओं का कुल भार 6 करोड़ 19 लाख किलोवाट है. यानि कि सिस्टम व उपभोक्ताओं के भार के बीच लगभग दो करोड़ का गैप ऊपर से 20 प्रतिशत बिजली चोरी, वह भी एक करोड़ किलोवाट के बराबर होगा. ऐसे में सिस्टम मिसमैच है. पीक आवर्स में डायवर्सिटी फैक्टर 1:1 होगा, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता की बिजली नहीं मिलेगी.

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