लखनऊ: राजधानी लखनऊ में लोक संस्कृति शोध संस्थान की 25वीं लोक चौपाल का आयोजन किया गया. जिसमें बीते दिनों दुनिया को अलविदा कहने वाले साहित्य, संगीत और कला जगत के सितारों को मंगलवार को श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विद्या विन्दु सिंह ने कोरोना को रक्तबीज की संज्ञा देते हुए इसके समूल विनाश के लिए मां भगवती का आह्वान किया.
कोरोना की जंग हारने साहित्यकारों और कलाकारों को किया गया याद
चौपाल में साहित्य, संगीत व कला जगत के स्तम्भ माने जाने वाले पद्मश्री डॉ. योगेश प्रवीन, आरती पाण्डेय, वाहिद अली वाहिद, मदन मोहन सिन्हा 'मनुज', एच. बसन्त, विधायक सुरेश श्रीवास्तव, संगीतकार अरूण शर्मा आदि को याद किया गया तथा उनके आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई.
चौपाल में ये लोग हुए शामिल
'जीवन यात्रा में संयोग और वियोग' विषय पर आयोजित ऑनलाइन लोक चौपाल में चौधरी के रूप में संगीत विदुषी प्रो. कमला श्रीवास्तव, लोक विदुषी डॉ. विद्या विन्दु सिंह, लोक साहित्य मर्मज्ञ डॉ. रामबहादुर मिश्र ने सहभागिता की. संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने दिवंगत पुण्यात्माओं की संस्थान के प्रति सद्भावना का उल्लेख करते हुए उनसे जुड़े संस्मरण साझा किए.
साहित्यकार डॉ. सुरभि सिंह ने कहा कि मन यह सोचने पर विवश हो गया कि जिस प्रकार जीवन अनन्त और चलायमान है, उसी प्रकार इस जीवन की यात्रा में मिलने और बिछड़ने की अनुभूतियां भी शाश्वत सत्य है. गीता के इस सार्वभौमिक सत्य को स्वीकार किया जाना चाहिए कि मिलना और बिछड़ना एक प्रक्रिया मात्र है.
नवयुग कन्या महाविद्यालय की आचार्य डॉ. अपूर्वा अवस्थी ने कहा कि शरीर नश्वर है किन्तु जब तक हम भौतिक जगत में रहते हैं तो यह शरीर ही हमारी पहचान बनता है. हमारे स्वभाव और कृत कार्य ही यादगार बनते हैं. लोक गायिका पूनम सिंह नेगी ने विभिन्न महामारियों का उल्लेख करते हुए कोरोना संकट भी टल जाने की उम्मीद जताई.
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चौपाल में मधु श्रीवास्तव ने डॉ. योगेश प्रवीन के लिखे देवी गीत तेरे भवन के चन्दन किवाड़ को स्वरबद्ध कर प्रस्तुत किया. लोक गायिका अंजलि सिंह, रीता पाण्डेय, चौपाल प्रभारी मंजू श्रीवास्तव ने आरती पाण्डेय द्वारा सिखाए लोक गीत गाए. गौरव गुप्ता, सुषमा अग्रवाल व शशि चिक्कर ने भजन की प्रस्तुति की.
वरिष्ठ साहित्यकार दयानंद पांडेय ने संजोली ने महादेवी वर्मा का गीत 'मैं नीर भरी दुःख की बदली' गया, वहीं एस.के. गोपाल ने योगेश प्रवीन का भजन 'बजरंग बली मेरी नाव चली, मेरी नाव को पार लगाओ नाथ' और वाहिद अली वाहिद की कृति 'मन रसखान जब डूबता है श्याम रंग, राधेश्याम-राधेश्याम रटती है बांसुरी' को पटल पर रखा.