बहराइच:तनाव भरे जीवन में लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना कठिन कार्य माना जाता है. हास्य सम्राट कवि काका हाथरसी की नगरी इस कठिन कार्य को आसान बना कर पुण्य कमाने में आगे रही है. इसी कड़ी में डाॅ. जगदीश लवानिया का भी नाम जुड़ा हुआ था. जिन्होंने हास्य व्यंग्य के क्षेत्र में हिंदी की सेवा करके नाम कमाया और जिले का मान बढ़ाया था. बीते कई महीनों से बेटे के साथ बहराइच में रह रहे हास्य कवि जगदीश लवानिया की शुक्रवार को इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई. इससे घटना पूरे साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई.
नहीं रहे मशहूर हास्य कवि डॉ. जगदीश लवानिया - bahraich latest news
हास्य जगत के मश्हूर कवि डाॅ. जगदीश लवानिया का शुक्रवार को इलाज के दौरान राजधानी लखनऊ में निधन हो गया. वह बीते कई दिनों से बीमार थे.
गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से किए जा चुके थे सम्मानित
10 जुलाई 1945 को अलीगढ़ जिले के छैछऊ गांव में जन्मे कवि डॉ. लवानिया का हाथरस में स्थाई निवास है. हाथरस ही उनकी कर्म भूमि भी रही है. पेशे से शिक्षक रहे कवि डॉ. जगदीश लवानिया के मन में वर्ष 1971 से कविता का बीज अंकुरित हो गया, जो पुष्पित पल्लवित हुआ. कवि डॉ.लवानिया की रचनाओं में हिंदी की बोली और क्षेत्र की आंचलिक भाषा ब्रजभाषा का काफी समावेश रहता था. उन्होंने हिंदी काव्य मंच पर अपने महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई और हास्य व्यंग्यकार के रूप में स्वंय को स्थापित किया. लावानिया को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से वर्ष 1987 में श्रीधर पाठक पुरस्कार मिल चुका था. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने वर्ष 1994 में उन्हें पंडित गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया था.
बीते कई दिनों से बीमार चल रहे डॉ. जगदीश लवानिया कई महीनों से बहराइच में अपने बेटे के साथ रह रहे थे. हास्य कवि जगदीश का कई महीनों से लखनऊ के डॉक्टर से इलाज चल रहा था. उनका बेटा प्रगल्भ लवानिया जिला आबकारी अधिकारी के पद पर तैनात है. जिला आबकारी अधिकारी प्रगल्भ लवानिया ने बताया कि उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए लखनऊ ले गए थे, जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई.