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ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा राजधानी का डीआरडीओ अस्पताल

लखनऊ के डीआरडीओ में ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है. अस्पताल को 20 हजार लीटर लिक्विड ऑक्सीजन की आवश्यकता है, लेकिन केवल 5 हजार लीटर ऑक्सीजन ही उपलब्ध हो पा रहा है.

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Published : May 4, 2021, 9:05 AM IST

ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है DRDO हॉस्पिटल लखनऊ
ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है DRDO हॉस्पिटल लखनऊ

लखनऊ: प्रदेश सरकार राज्य में भरपूर ऑक्सीजन होने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. अवध शिल्प ग्राम में जिस कोविड अस्पताल का निर्माण डीआरडीओ कर रहा है, वहां के ऑक्सीजन टैंक को अब लिक्विड ऑक्सीजन की दरकार है. शनिवार देर रात 20 हजार लीटर की क्षमता वाला ऑक्सीजन टैंकर पहुंचने से सेना के अफसरों के साथ ही डीआरडीओ के जिम्मेदारों को भी राहत मिली, लेकिन कुछ ही देर में उनके सामने फिर समस्या खड़ी हो गई. वजह यह थी कि जिस ऑक्सीजन टैंकर में उन्हें 20,000 लीटर ऑक्सीजन मिलनी थी, पता चला कि टैंकर में केवल पांच हजार लीटर ही ऑक्सीजन है. 15 हजार लीटर पहले ही कहीं दूसरी जगह दे दी गई है.

रक्षा मंत्री राजनााथ सिंह के आदेश पर बना है डीआरडीओ अस्पताल

देश के रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के लखनऊ लोकसभा सीट से सांसद राजनाथ सिंह कोविड से लोगों को बचाने के लिए लगातार सेना की मदद ले रहे हैं. उन्होंने लखनऊ में डीआरडीओ की तरफ से कोविड अस्पताल तैयार कराया है, जिससे राजधानी समेत प्रदेशवासियों को कोरोना की इस महामारी से सुरक्षित बचाया जा सके. डीआरडीओ के अटल बिहारी वाजपेयी कोविड हॉस्पिटल में दो आइसीयू वार्ड तैयार किए जा चुके हैं. दो जनरल वार्ड के सभी बेड पर ऑक्सीजन लाइन बिछा दी गई है. डीआरडीओ के इस कोविड अस्पताल में 24 अप्रैल को राजस्थान से 20 हजार लीटर की क्षमता का लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक लगाया गया, जबकि 25 अप्रैल को वेपोराइजर मशीन भी लगाई गई.

यहां पर आइसीयू के बेड लगाने में दो दिन ज्यादा लग गए. इस बीच डीआरडीओ ने 30 अप्रैल को अस्पताल के आइसीयू में लगे लाइफ सपोर्ट सिस्टम का परीक्षण भी कर लिया. ऑक्सीजन की जगह एयर सप्लाई कर लाइन को चेक किया गया. इस बीच पांच हजार लीटर ऑक्सीजन पहुंची तो उसे टैंक में लोड भी कर दिया गया.

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सेना के डॉक्टर संभालेंगे मोर्चा

यहां भारतीय सेना के चिकित्सकों और मिलिट्री नर्सिंग सेवा के अफसरों ने अपनी ड्यूटी को लेकर अभ्यास किया. डीआरडीओ के इस कोविड अस्पताल में जिन सैन्य डॉक्टरों और मिलिट्री नर्सिंग सेवा अधिकारियों को तैनात किया जा रहा है, वे बारीकी से यहां के उपकरणों की भी जांच कर रहे हैं.

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