सुलतानपुरः 13 साल की उम्र में पाकिस्तान की रावी नदी पारकर हिंदुस्तान की नागरिक बनी माता कौर ने 1947 के विभाजन के दौरान हिंदुस्तान से अपनी मोहब्बत को बयां किया. उन्होंने कहा कि राष्ट्र के नक्शे को देखकर उन्हें हिंदुस्तान से मोहब्बत हो गई थी. गुरुवार को 1947 विभाजन विभीषिका कार्यक्रम के दौरान शहर के गुरुद्वारा में राष्ट्रध्वज फहराया गया और फिर राष्ट्रगान हुआ. इस मौके पर पूर्व मंत्री और विधायक विनोद सिंह और जिलाधिकारी रवीश कुमार गुप्ता की तरफ से उन नागरिकों को सम्मानित किया गया. जो बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से हिंदुस्तान आए थे.
1947 विभाजन विभीषिका कार्यक्रम के दौरान माता कौर ने बताया कि, वो 13 साल की उम्र में रावी नदी पार कर हिंदुस्तान आई थी. उन्होंने कहा कि, 'बचपन में हिंदुस्तान का नक्शा देखा था. जिसके बाद से हिंदुस्तान आने की ललक बनी हुई थी. उर्दू में यूपी लिखा देखा था और सुलतानपुर . आज भारत की सर जमी पर बहुत अच्छा और अपनापन महसूस हो रहा है. 12:00 बजे रात में हम अपना घर छोड़कर हिंदुस्तान के लिए निकले थे. हमने अपना मकान नहीं मांगा. अपनी जिंदगी मांगी, अपना हिंदुस्तान मांगा.
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