सुलतानपुर: यूक्रेन से लौटी सुलतानपुर की बेटी दीक्षा ने घर पहुंचने पर दर्द साझा किया. मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही दीक्षा ने बताया कि उनके हॉस्टल से चंद कदम की दूरी पर मिसाइल गिरी, तब उन्होंने वहां से निकलने का फैसला किया. भारतीय दूतावास ने निकलने पर रोक लगा दी थी. बॉर्डर पार करते समय 25 मीटर की दूरी तय करने में उन्हें 12 घंटे लगे. दीक्षा ने कहा कि भारत की धरती पर पहुंचते ही मानो पुनर्जीवन मिला है.
जिले के कादीपुर तहसील अंतर्गत ब्लाक प्रमुख राजमणि वर्मा की बेटी दीक्षा यूक्रेन में पढ़ाई करती है. ईवानों में दीक्षा नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में 10 वीं सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही है. अपने गृह जनपद पहुंचने पर दीक्षा ने आपबीती बयां की. दीक्षा ने बताया कि जीवन का सबसे लंबा फासला तय कर हम घर पहुंचे हैं. जंग शुरू होने के बाद कई छात्राओं के साथ वो अपने हॉस्टल में थी. भारतीय दूतावास ने पहले ही एडवाइजरी जारी की थी कि जो जहां है वहीं रहे, बॉर्डर की तरफ जाने की कोशिश न करें.
दीक्षा ने बताया कि एक दिन सुबह करीब 4 बजे अचानक भयानक आवाज के बाद नींद खुली. लगातार हो रहे तेज धमाकों से सारे बच्चे सहमे हुए थे. सुबह देखा तो हर तरफ तबाही का मंजर था. इवानो हवाई अड्डा नष्ट हो चुका था. बाद में पता चला कि यहां कुल 7 मिसाइलें गिरी हैं. इसके बाद उन्होंने तय किया कि अब वहां नहीं रुकेंगे. करीब 25 बच्चों ने मिलकर एक टैक्सी की और रोमानिया के लिए निकल पड़े. बाकी बच्चे अन्य टैक्सियों में थे. राह आसान नहीं दिख रहा था. रोमानिया बॉर्डर पर 10 किलोमीटर पहले ही टैक्सी वाले ने उतार दिया और आगे ले जाने में असमर्थता जताई.