सुलतानपुर:कोविड-19 संक्रमण काल में भले ही ऑनलाइन एजुकेशन के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन सुलतानपुर जिला भारतीय मेधा डेटा नेटवर्क और एंड्रॉयड की अनुपलब्धता की चुनौतियों से आज भी जूझ रहा है. ऑनलाइन एजुकेशन शुरू हुए 6 माह बीत चुके हैं, लेकिन जिले के शिक्षण संस्थान अभी भी इन दो प्रमुख समस्याओं का हल निकालने में नाकामयाब हैं. हालांकि वेबसाइट से एजुकेशन देकर सेंट्रल स्कूल ने फौरी तौर पर मेधावी बच्चों को राहत देने का सकारात्मक प्रयास किया है.
सुलतानपुर शहर में स्थित केंद्रीय विद्यालय हो या निजी संस्थान. सभी जूम, गूगल समेत विभिन्न प्रकार के एजुकेशन ऐप के जरिए बच्चों की शिक्षा-दीक्षा संपन्न करवाने का दावा कर रहे हैं. ऑनलाइन एजुकेशन के तहत बच्चों को लैपटॉप, टेबलेट और एंड्राइड मोबाइल पर यह सारी सुविधाएं दी जा रही हैं. हालांकि यह सुविधा गरीब परिवार के बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही है.
शिक्षिका ने दी जानकारी
केंद्रीय विद्यालय की कंप्यूटर शिक्षिका निशा वर्मा कहती हैं कि गूगल मीट ऐप और ब्लू बटर ऐप के जरिए बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस ली जा रही है. प्राय: बच्चे ऑनलाइन क्लास लेते रहते हैं और उनका डाटा खत्म हो जाता है. ऐसे बच्चों की सहूलियत के लिए केंद्रीय विद्यालय की तरफ से एक ब्लॉग डिजाइन किया गया है, जिसमें वेबसाइट पर वीडियो अपलोड कर दिए जाते हैं. बाद में बच्चे वहां से वीडियो के जरिए शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. जनगणना 2011 की रिपोर्ट को देखें तो 10 लाख से अधिक गरीबी रेखा और इससे नीचे के परिवार हैं, जिनके पास न तो एंड्राइड फोन है और न ही टैबलेट या लैपटॉप. ऐसे में इनकी शिक्षण व्यवस्था मैनुअल तरीके से ही चल रही है.