सुलतानपुर: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शामिल हुए जांबाज फुरकान अहमद की पत्नी शायरा आज भी उनका इंतजार कर रही हैं. डेढ़ साल के बच्चे को छोड़कर युद्ध में गए फुरकान की पत्नी शायरा की राह तकते-तकते आंखें बूढी हो चुकी हैं. आज तक फुरकान का न तो शव मिला और न ही मृत्यु की आधिकारिक पुष्टि हुई. हालांकि पाकिस्तान की कोट लखपत जेल से फोन पर आए सलाम ने एक बार फिर उनकी उम्मीदों को तरोताजा कर दिया.
लखपत जेल से पति का सलाम, 51 साल से शायरा को फुरकान का इंतजार
1971 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. 1971 के युद्ध में भारत की 12 दिनों में जीत हो गई. इस युद्ध में शामिल हुए सुलतानपुर के जाबाज फुरकान अहमद को पाकिस्तान ने कैद कर लिया, जिनका परिवार आज भी इंतजार कर रहा है...
सुलतानपुर शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वजीरपुर गांव है. जहां के निवासी फुरकान अहमद 1971 की लड़ाई में पगडंडियों को पकड़कर रेलवे स्टेशन गए थे. उन दिनों बाढ़ की स्थिति बनी हुई थी. गांव के चारों तरफ पानी भरा हुआ था, लेकिन जांबाज सिपाही विपरीत परिस्थितियों को तोड़ता हुआ पाकिस्तान से लोहा ले रही भारतीय सेना की लड़ाई में शामिल हुआ.
सरकार से परिवार को न उम्मीदी
भारत सरकार के मंत्रियों से कई बार फुरकान का पता लगाने की अपील की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस पहल सामने नहीं आ सकी. शायरा की तरफ से जन सूचना के जरिए कई पत्र भेजे गए, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन कोई ठोस नतीजा आज तक नहीं निकल सका.