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हमारा नैतिक दायित्व एससी एसटी एक्ट का ना करें दुरुपयोग : रामबाबू हरित - एससी-एसटी आयोग

एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष रामबाबू हरित ने बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश में एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग की बात स्वीकार की. उनका कहना था कि सर्व समाज ने संसद में इस कानून को मंजूरी दी है, इसलिए हमारा नैतिक दायित्व है कि हम इसके दुरुपयोग से बचें. उन्होंने एससी-एसटी के दुरुपयोग का ठीकरा सवर्ण समाज पर भी फोड़ा है.

एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष रामबाबू हरित
एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष रामबाबू हरित

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Published : Nov 20, 2021, 3:45 PM IST

सुलतानपुर :अनुसूचित जाति एवं जनजाति एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष रामबाबू हरित शनिवार की दोपहर सुलतानपुर जिला मुख्यालय पहुंचे. यहां पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पर उन्हें गार्ड आफ ऑनर की सलामी दी गई. इस दौरान वे जिलाधिकारी रवीश गुप्ता और पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन कुमार मिश्र से मिले. अनुसूचित जाति के लोगों से संबंधित मुकदमों के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद, उन्होंने इसके उत्पीड़न और दुरुपयोग पर रोक लगाने का अनुसूचित जाति और जनजाति समाज से आह्वान किया. उन्होंने जागरूकता पत्र जारी कर अब तक हुई कार्रवाई से भी पत्रकारों को अवगत कराया. इस दौरान उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के अभी तक पीड़ित होने की बात कहते हुए, जागरूकता अभियान चलाए जाने को आवश्यक बताया.


उनका कहना था, विधानसभा चुनाव को देखते हुए दो-तीन माह हमारे लिए बहुत ही क्रिटिकल है. इसमें एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग की संभावनाएं अधिक हैं. मीडिया भी किसी घटना को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर देता है. एक्ट के दुरुपयोग के कुछ मामलों की जांच चल रही है. अभी तक हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं. समाज के सभी लोगों के सहयोग से नियम और कायदे बनते हैं, इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.

एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष रामबाबू हरित

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आयोग की तरफ से अनुसूचित जाति से संबंधित लोगों के घरों तक जाने की तैयारी की जा रही है. हम लोगों से मिलते भी हैं, ताकि उनके साथ होने वाले उत्पीड़न को रोका जा सके. एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष रामबाबू हरित ने कहा कि सर्व समाज ने संसद में इसे मंजूरी दिलाई है, इसलिए हमारा नैतिक दायित्व है कि हम इसका दुरुपयोग ना करें. अधिकारी किसी जाति का नहीं होता, इसलिए वह निष्पक्ष जांच करता है. सवर्ण समाज के कुछ लोग बहला-फुसलाकर अनुसूचित जाति के लोगों से एससी-एसटी एक्ट का मुकदमा करा देते हैं, इससे हमारे समाज को बचने की जरूरत है.

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