सुलतानपुर : शहर में गभड़िया और कुम्हार टोला में बड़े पैमाने पर मिट्टी के कारीगर हैं. मिट्टी तैयार करते हैं. चाक पर चढ़ाते हैं और खिलौने और मिट्टी के बर्तन बनाते हैं. इसी से इनकी रोजी रोटी चलती है. कहने को तो इलेक्ट्रॉनिक चाक इन्हें कागजों में मुहैया करा दिया गया है लेकिन, असल तस्वीर में यह आज भी पारंपरिक चाक के सहारे अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रहे हैं.
कुम्हारों ने बताई अपनी पीड़ा
मिट्टी की कारीगर शांति देवी कहती हैं कि लॉकडाउन की वजह से बिक्री प्रभावित है. मिट्टी के जो बर्तन बनाए हैं, वह दो महीनों से बिके नहीं हैं. वहीं कुम्हार बाबूराम कहते हैं कि इन परिस्थितियों में कहां से खाएंगे और कहां से बच्चों को खिलाएंगे. मिट्टी के जो बर्तन बनाकर बेच चुके हैं, उनके पैसे भी नहीं मिले हैं. पूरा परिवार बहुत परेशानी का सामना कर रहा है. वहीं अमित प्रजापति बताते हैं कि शादी-ब्याह के लिए बड़े बर्तन बनते हैं. उससे थोड़ी अच्छी कमाई हो जाती थी. लेकिन, फिलहाल सारा धंधा ठप पड़ा है. इस समय हालत काफी खराब है.