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सुलतानपुर में 2 जून की रोटी को मोहताज प्रवासी श्रमिक

सुलतानपुर जिले में लॉकडाउन के चलते घरों को लौटे प्रवासी श्रमिकों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सरकार ने मनरेगा के तहत उन्हें रोजगार से जोड़ने की कोशिश तो की, लेकिन पंचायत के नेताओं के ढीले रवैये के चलते प्रवासियों को मनरेगा में काम नहीं मिल पा रहा है.

स्पेशल रिपोर्ट.
कागजों में सिमटीं योजनाएं

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Published : Sep 24, 2020, 12:58 PM IST

सुलतानपुर: दिल्ली, मुंबई और हरियाणा समेत कई राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के बड़े-बड़े दावे फीके साबित हो रहे हैं. जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धनपतगंज ब्लॉक के गरथौली ग्राम पंचायत में केवल कागजों में ही मनरेगा दौड़ रहा है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

गरथौली गांव में प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई ही हो रही है. गांव में सड़क, नालियां व शौचालय के गड्ढे जैसे तमाम कार्य हो रहे हैं, लेकिन सभी कार्य जेसीबी से कराए जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि प्रधान के चहेतों को जॉब कार्ड में कामगार बनाया गया है. लॉकडाउन से आज तक काम के नाम पर श्रमिकों को कुछ नहीं मिला है.

प्रवासी श्रमिक कहते हैं कि सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए तमाम योजनाएं लाई थीं, लेकिन न तो प्रधान की तरफ से और न ही बीटीसी की तरफ से योजना का लाभ दिलाया गया है और न ही सेक्रेटरी की तरफ से भी कोई पहल नहीं की गई. उनका कहना है कि सरकार की तरफ से मिलने वाली एक हजार रुपये की सहायता धनराशि भी नहीं दी गई.

स्पेशल रिपोर्ट.

हरियाणा से आए रामू कहते हैं कि गांव में सारा काम जेसीबी की मदद से कराया जा रहा है. जब भी ग्राम प्रधान से काम मांगने जाते हैं तो कोई जवाब नहीं मिलता है. उनका कहना है कि अभी तक ग्राम पंचायत की ओर से कोई काम नहीं दिया गया है.

ग्रामीण संतोष कुमार कहते हैं कि गांव में प्रवासी श्रमिक बड़ी संख्या में आए हुए हैं. प्रधान के डर की वजह से ये लोग काम मांगने तक नहीं जा पाते हैं. यहां पर लोग डरे-सहमे हुए हैं, कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. रोजगार न होने के चलते लोगों की रोजी रोटी पर गहरा असर पड़ रहा है. ग्रामीण प्रधान के यहां काम मांगने वाले को हमेशा ही वापस लौटना पड़ता है. प्रधान के चाटुकारों को ही काम मिलता है. गांव में समतलीकरण तक का काम जेसीबी से कराया जा रहा है. सरकार की योजनाओं का लाभ रसूखदारों तक ही पहुंच रहा है.

बता दें कि गरथौली ग्राम पंचायत भवन को तकरीबन 12 लाख रुपये की कीमत से तैयार किया जा रहा है. यहां पर कुल 40 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हो रहा है. आंगनवाड़ी केंद्र तैयार किया जा रहा है, जहां मासूमों को पुष्टाहार मिलेगा और उन्हें शिक्षा दीक्षा दी जाएगी. 7 लाख 12 हजार रुपये की लागत से ये कार्य किए जा रहे हैं. सड़कें 5 किलोमीटर तक की होगी, खड़ंजा 2 किलोमीटर का और इंटरलॉकिंग सड़कें बन रही हैं. साथ ही पावर हाउस में तीन सब-स्टेशन होंगे, यह 7 लाख 50 हजार रुपये से निर्मित हो रहा है.

प्रधान अनूप कुमार चतुर्वेदी कहते हैं कि ग्राम पंचायत के लोग उनके प्रतिद्वंदी हैं, वे लोग उनका दुष्प्रचार करते हैं. प्रधान की तरफ से लोगों का काम दिया जा रहा है. उनका कहना है कि आने वाले प्रधानी चुनाव के मद्देनजर यह विरोधी तस्वीर दिखाई जा रही है.

उनका कहना है कि मनरेगा पंचायती राज विभाग में कई योजनाएं चल रही हैं, जिसका लाभ प्रवासी श्रमिकों को दिया जा रहा है. सेवायोजन विभाग की तरफ से भी टेक्निकल शिक्षित लोगों को रोजगार देने की कार्रवाई चल रही है. बैठक के दौरान इस पर अधिक फोकस किया जाएगा. मशीनरी के बजाय श्रमिकों को कार्य में अधिक लगाया जाए, यही हमारा प्रयास है.

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