सुलतानपुर:किशोरी के अपहरण एवं दुष्कर्म के मामले में स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट राजेश नारायण मणि त्रिपाठी की अदालत ने दोषी ठहराए गए पांच दोषियों की सजा के बिंदु पर बुधवार को सुनवाई की. अदालत ने दुष्कर्म के दोषी महेंद्र यादव को 10 वर्ष के कारावास और 60 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. वहीं, अदालत ने शेष चार को पांच-पांच वर्ष के कारावास और 20-20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. दारोगा ने पक्षपात करते हुए 4 को क्लीन चिट दी थी, आदेश आने के बाद पुलिस की बड़ी किरकिरी हुई है.
मामला लम्भुआ कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा है. यहां के रहने वाले आरोपी महेंद्र यादव, सिकन्दर, रामभारत, रामबहादुर, राजनारायन के खिलाफ 22 अप्रैल 2016 की घटना बताते हुए पीड़िता की मां ने लम्भुआ थाने में तहरीर दी थी. फिलहाल पुलिस आरोपियों के प्रभाव में कई दिनों तक एफआईआर दर्ज करने से परहेज करती रही थी. नतीजतन अधिकारियों के संज्ञान में लेने के बाद घटना के छह दिन बाद मुकदमा दर्ज हो सका. जांच-पड़ताल के दौरान विवेचक ने मामले में मात्र आरोपी महेंद्र यादव को जेल भेजा और आरोप-पत्र भी उसी के खिलाफ दाखिल किया था. शेष चार आरोपियों को विवेचक ने मनमानी तफ्तीश करते हुए उन्हीं के करीबियों के एफिडेविट को विवेचना का अंग बनाकर उन्हें क्लीनचिट दे दी.
वादी की तरफ से विवेचक पर पक्षपात का आरोप भी लगाया गया था. इसके पश्चात अकेले आरोपी महेंद्र यादव के खिलाफ ट्रायल शुरू हुआ. विचारण के दौरान पीड़िता व उसकी मां ने सभी आरोपियों की अपराध में संलिप्तता बताते हुए बयान दिया. इसके पश्चात अभियोजन पक्ष की तरफ से धारा-319 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत क्लीनचिट पाये चारों आरोपियों को विचारण के लिए तलब करने की मांग की. इस पर सुनवाई के पश्चात अदालत ने चारों आरोपियों को विचारण के लिए तलब किया था. इसके बाद पुलिस की तफ्तीश से राहत पाये चारों आरोपियों को भी जेल जाकर जमानत की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. वहीं, महेन्द्र यादव को जेल जाने के बाद हाईकोर्ट में पांच-पांच बार जमानत अर्जियां दाखिल करने के बाद भी राहत नहीं मिल सकी और जेल काटते-काटते मुकदमे का ट्रायल भी पूरा हो गया.