सुलतानपुर: जाति का फैक्टर अन्नदाताओं के लिए जी का जंजाल बना हुआ है. दरअसल खतौनी में जिन किसानों ने अपनी जाति दर्ज नहीं कराई है, उन्हें धान की बिक्री का भुगतान नहीं मिल पा रहा है. सरकारी क्रय केंद्रों पर धान बेचने के बाद अब बैंक खातों से खतौनी का मिलान किया जा रहा है.
किसानों की टेंशन: खतौनी में नाम की दर्जगी ने धान के भुगतान पर लगाया बैरियर
यूपी के सुलतानपुर जिले में अब किसानों को खतौनी में अपनी जाति दर्ज करानी पड़ेगी. ऐसा नहीं करने पर किसानों को धान की बिक्री का भुगतान नहीं मिल पाएगा.
सरकारी क्रय केंद्रों पर पीएफएमएस प्रणाली लागू हो गई है. इसके तहत अब नोडल एजेंसी जिला खाद्य एवं विपणन से भुगतान किसानों को नहीं मिलेगा. दरअसल, शासनादेश में कहा गया था कि किसान धान क्रय केंद्रों पर भेजेंगे और सीधे उनके खाते में धनराशि मंडल मुख्यालय से आएगी, इससे किसानों को पीएफएमएस प्रणाली का लाभ मिलेगा.
किसानों की समस्याओं का फीडबैक बराबर शासन को भेजा जा रहा है. इसमें दर्शाया जा रहा है कि खतौनी और खाते से संबंधित त्रुटियों का विवरण शासन को भेजकर अवगत कराया गया है. एक बार व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त होने पर अगले खरीद सत्र में किसानों को समस्याएं नहीं आएंगी. बैंक खाते और खतौनी का मिलान करने के बाद ही भुगतान किया जा रहा है.
प्रवीण कुमार सिंह, क्षेत्रीय विपणन अधिकारी