सुलतानपुरःजिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर बंधुआ कला थाना क्षेत्र के सगरा का तालाब गांव भी अब मुख्य धारा से जुड़ेगा. यहां, पढ़ने-लिखने की उम्र में शराब की पैकिंग करने वाले बच्चों के हाथों में अब किताबे होंगी. वहीं, शराब की भट्ठियों में अपना जीवन खपा रही महिलाएं भी रोजगार से जुड़ेंगी. अब सगरा का तालाब गांव में शराब की भट्ठियां नहीं जलेंगी. क्योंकि यहां की महिलाओं ने अब शराब बनाने से तौबा कर लिया है. यह सब प्रशासन की पहल पर संभव हो पाया है.
महिलाओं ने ली कच्ची शराब न बनाने की संकल्प
सगरा का तालाब गांव में अभी तक शाम होते ही शराब भट्ठियां धधकने लगती थी. बच्चे पढ़ाई लिखाई छोड़कर शराब तैयार करने में जुट जाते थे. क्योंकि यहां के लोगों का जीवन यापन का जरिया ही कच्ची शराब बनाकर बेचना था. लेकिन अब इनके दिन बहुरने वाले हैं. अलीगढ़ की घटना से सबक लेते हुए अब यहां अपराध से रोजगार की दिशा में बढ़ने का प्रयास पुलिस विभाग के सौजन्य से साकार होने जा रहा है. यहां की महिलाओं ने थाने में जाकर संकल्प लिया है कि अब कच्ची शराब नहीं बनाएंगे. जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस के सहयोग से इस गांव में स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाएंगे. महिलाओं को रोजगार देने के लिए दो स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है.
किसी तरह चल रही गृहस्थी
गांव की श्यामकली कहना है कि पति की मौत हो चुकी है. कच्ची शराब बनाने से थोड़ा बहुत घर का खर्च मिल जाता है. जिसे परिवार चलता है. बहुत ज्यादा पैसा अब इससे नहीं मिलता है. वहीं, लालती ने बताया कि मेरे घर में कमाने वाला कोई नहीं है. दवा और घर का खर्च कच्ची शराब बनाकर ही चलता है. हमारे पास कोई कारोबार नहीं है. मालती ने कहा कि अधिकारी और सरकार हमें रोजी-रोटी कमाने के लिए रोजगार मुहैया कराए. स्थानीय निवासी परमेश्वर ने कहा कि 200 से 300 रुपये तक मिल जाए तो महिलाओं का गुजारा चल जाएगा.