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हनुमानजी ने किया था कालनेमि का वध, पर्यटक स्थल बनेगा सुलतानपुर का बिजेथुआ धाम - hamuman temple in sultanpur

बिजेथुआ महावीरन में हनुमान जी की मूर्ति आज भी कालिनेम वध के रूप में मौजूद है. मूर्ति न सिर्फ दक्षिण मुखी है बल्कि मंदिर के गर्भगृह का दरवाजा भी दक्षिण दिशा में ही खुलता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच कर यहां मकड़ी कुंड में स्नान कर हनुमान जी का दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. यहां पर सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्दालु पहुंचते हैं. बिजेथुआ धाम अयोध्या के नजदीक होने के चलते अब यहां पहुंचने वाले भक्तों की संख्या लाखों तक पहुंच चुकी है.

पर्यटक स्थल बनेगा बिजेथुआ धाम
पर्यटक स्थल बनेगा बिजेथुआ धाम

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Published : Mar 8, 2021, 10:35 AM IST

सुलतानपुरःउत्तर प्रदेश में स्थित तमाम धार्मिक स्थलों का न सिर्फ कायाकल्प किया जा रहा है, बल्कि जर्जर हालातों में मौजूद सनातम धर्म की पहचान का जीर्णोद्धार भी तेजी से हो रहा है. सूबे में योगी सरकार आने के बाद पर्यटन विभाग प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों का कायाकल्प कर उसका प्रचार-प्रसार भी कर रही है, जिससे भक्तों को इन जगहों से जोड़ा जा सके. ऐसे में सदियों से सुलतानपुर और उसके आसपास के जिलों में आस्था का प्रमुख केंद्र रहा बिजेथुआ महावीरन का हनुमान मंदिर को सरकार अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी में है.

सुलतानपुर के कादीपुर तहसील स्थित बिजेथुआ महावीरन का हनुमान मंदिर अंबेडकर नगर, जौनपुर और प्रतापगढ़ की सीमा पर स्थित है. यहा मंदिर आज भी आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. मान्यता है कि राम-रावण युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण को मुर्छा आई तो हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने हिमालय की तरफ जा रहे थे. रास्ते में कालिनेम नाम का राक्षस साधु के वेष में बैठकर हनुमान जी को रोकने का प्रयास किया. उसने तालाब में स्नान कर हनुमान जी को जलपान करने को कहा. कहा जाता है कि जैसे हनुमान जी तालाब में स्थान करने के लिए गए, तभी उनको एक मकरी ने कालिनेम का भेद बता दिया. जिसके बाद हनुमान जी ने न सिर्फ मकड़ी का उद्धार किया बल्कि अपने पैरों से कालिनेम को रसातल तक दबा दिया.

पर्यटक स्थल बनेगा बिजेथुआ धाम

गोस्वामी तुलसी दास ने राम चरित मानस के लंकाकांड में दोहा संख्या 55 से 58 तक कालिनेम का वर्णन किया है. जिसमें उन्होंने कालिनेम के आश्रम स्थान का कोई सटीक वर्णन तो नहीं किया, लेकिन सदियों से यह जनश्रुति है कि यह वही बिजेथुआ धाम हैं जहां बजरंग बली ने कालिनेम का वध कर मकड़ी का उद्धार किया था.

कालिनेम वध के रूप में ही मौजूद है हनुमान जी की मूर्ति

बिजेथुआ महावीरन में हनुमान जी की मूर्ति आज भी कालिनेम वध के रूप में मौजूद है. मूर्ति न सिर्फ दक्षिण मुखी है बल्कि मंदिर के गर्भगृह का दरवाजा भी दक्षिण दिशा में ही खुलता है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच कर मकड़ी कुंड में स्नान कर हनुमान जी का दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. यहां पर सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्दालु पहुंचते हैं. बिजेथुआ धाम अयोध्या के नजदीक होने के चलते अब यहां पहुंचने वाले भक्तों की संख्या लाखों तक पहुंच चुकी है.

लगातार होती रही है जीर्णोद्धार की मांग
पौराणिक बिजेथुआ धाम का जीर्णोद्धार करने की कवायद बीसवीं सदी के दूसरे दशक से शुरू की जा रही है. हालांकि स्थानीय जनप्रतिनिधि हों या श्रद्धालु, लंबे समय से इसके जीर्णोद्धार की मांग करते आ रहे हैं. बिजेथुआ धाम के आकर्षण का प्रमुख केंद्र मकड़ी कुंड में स्वच्छ जल भरने की व्यवस्था नहीं हो पाई है और हत्या हरण कुंड उपेक्षा का शिकार है.

प्रशासन से प्रयास की दरकार
मां मैत्रायणी योगिनी मल्लिका राजपूत ने कहा कि बिजेथुआ महावीरन धाम सुल्तानपुर की पहचान है और यह यहां का अति प्राचीन मंदिर है. हमारा आवाहन है कि प्रशासन इस मंदिर के जीर्णोद्धार की दिशा में तेजी से प्रयास करें. मकरी कुंड का पानी स्वच्छ एवं निर्मल नहीं है. इसके लिए बेहतर इंतजाम होने चाहिए. हत्या हरण कुंड में घास उगी हुई है. इसके जीर्णोद्धार का प्रयास किया जाना चाहिए.


पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा बिजेथुआ : डीएम
जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने कहा कि मकरी कुंड और हत्या हरण कुंड के जीर्णोद्धार और विकास का कार्य अभी नहीं हो सका है. पुराणों में भी यह दर्ज है. यह पुराना प्राचीनतम श्रद्धा का केंद्र है. पर्यटन विभाग से संपर्क कर इसके जीर्णोद्धार करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

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