सुलतानपुर: जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत ग्रामीण अंचल में निष्प्रयोज्य हो चुके 3286 प्राचीनतम कुओं को वर्षा जल संग्रह प्रणाली का मुख्य स्रोत बनाया जाएगा. गांव में जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए बारिश के पानी को यहां पर रिचार्ज किया जाएगा, जिससे धरती की प्यास मिटेगी और भूगर्भ जल स्तर में बढ़ोतरी के लंबे प्रयास को सार्थक किया जा सकेगा.
वर्षा जल संग्रहण प्रणाली के स्रोत बनेंगे कुएं. सुलतानपुर जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या 986 रिकॉर्ड में दर्ज है. 1741 राजस्व गांव में प्रशासन की तरफ से सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है, जिसके आधार पर करीब 3,286 कुओं की तस्वीरें सामने आई हैं. इसमें कई निष्प्रयोज्य होकर पट चुके हैं तो वहीं कई अपना अस्तित्व खोने की कगार पर हैं. इनको वर्षा जल संग्रह प्रणाली का हथियार बनाने की प्रशासन ने नई कवायद शुरू की है. इनको इस तरीके से तैयार किया जाएगा, जिससे बारिश के पानी को इसमें एकत्र किया जा सके और भूगर्भ जल को रिचार्ज किया जा सके.
नलकूप विभाग के अधिशासी अभियंता जगदीश कुमार का कहना है कि वर्षा जल संग्रह प्रणाली में पहले गड्ढा तैयार किया जाता है, जहां पर कोयला और बालू की सतह तैयार की जाती है. इससे पानी को स्वच्छ बनाया जा सके और वह साफ होकर धरती के भीतर पहुंचे. कुएं को इसके लिए गड्ढे के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाएगा, जिसे अशुद्धता अलग हो जाए और कुएं का पानी शुद्ध होकर रिचार्ज हो जाए.
डीएम सी. इंदुमती ने जानकारी देते हुए बताया कि अमूमन प्रत्येक गांव में दो से तीन कुएं होते हैं. बहुत से कुएं ऐसे हैं, जो निष्प्रयोज्य हो चुके हैं, जहां से पानी नहीं निकाला जाता है. इनके जल स्रोत भी खत्म हो चुके हैं. इन्हें वर्षा जल संग्रह प्रणाली के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा. बारिश के पानी को यहां एकत्र किया जाएगा और ऐसे भूगर्भ जल को रिचार्ज किया जाएगा. पाइप के जरिए बारिश का पानी कुएं में डाला जाएगा. विदेशों में हुए इस प्रयोग को देखते हुए सुलतानपुर में इसे लागू करने का निर्णय लिया गया है. वाटर रिचार्ज के लिए यह बेहतर प्रयास हो सकता है. इसकी कार्य योजना तैयार है, जिसे जल्द ही अमली जामा पहनाया जाएगा.