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'चिकित्सीय व्यवस्था के साथ सरकार न करे मजाक' - आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की मिली अनुमति

केंद्र सरकार के आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति देने के फैसले के विरोध में सर्जन चिकित्सक हैं. चिकित्सकों का कहना है कि चिकित्सीय व्यवस्था के साथ सरकार मजाक न करे.

चिकित्सीय व्यवस्था के साथ सरकार न करे मजाक
चिकित्सीय व्यवस्था के साथ सरकार न करे मजाक

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Published : Feb 5, 2021, 9:55 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 10:02 PM IST

सुलतानपुर:आयुर्वेदिक चिकित्सकों को एलोपैथी का सर्जन बनाए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय का चिकित्सकों ने सामूहिक विरोध किया है. भूख हड़ताल के बाद चिकित्सक एक बार फिर लामबंद हुए हैं. आयुर्वेदाचार्य को पर्याप्त ट्रेनिंग देते हुए चिकित्सक बनाए जाने का मुद्दा उठाया गया है.

आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जन बनाने का विरोध.

निजी अस्पताल में लामबंद हुए चिकित्सक

शहर के करुणाश्रय अस्पताल पर शुक्रवार को कई चिकित्सक इकट्ठा हुए. इस दौरान उन लोगों ने सरकार के निर्णय का विरोध किया. चिकित्सकों का कहना है कि मिक्सोपैथी खतरनाक है. एलोपैथिक की विश्वसनीयता के लिए यदि आयुर्वेदाचार्य को शल्य चिकित्सक (सर्जन) बनाना है तो पहले उन्हें पारंगत किया जाए.

'आयुर्वेद है एलोपैथिक से काफी पीछे'

ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अखंड प्रताप सिंह कहते हैं कि सरकार को आयुर्वेदिक चिकित्सकों को शल्य चिकित्सक नहीं बनाना चाहिए. आयुर्वेद के पीजी छात्रों को एलोपैथ की तरह सर्जरी दिया जाना सुरक्षित नहीं है. एलोपैथ जिस विकास के आयाम पर है, अभी उस स्तर पर आयुर्वेद नहीं पहुंच सका है.

शल्य चिकित्सक डॉ. एके सिंह कहते हैं कि आयुर्वेद के चिकित्सकों को भी पूरी ट्रेनिंग के बाद पारंगत बनाते हुए शल्य चिकित्सा में लाया जाए तो कोई बुराई नहीं है. हम इस पहल के विरोधी नहीं हैं. आयुर्वेद के चिकित्सकों को सही ढंग से तैयार कर इस क्षेत्र में उतारने की जरूरत है. शोध के जरिए जब यह प्रमाणित हो जाएगा तो इलाज पद्धति में काफी सुधार होगा और इसे बेहतरीन कहा जाएगा.

Last Updated : Feb 16, 2021, 10:02 PM IST

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