सोनभद्रः देश के प्रधानमंत्री ने दिसम्बर 2018 में हर घर में बिजली पहुंचाने का दावा भले की कर दिए हैं, लेकिन नीति आयोग द्वारा देश के 115 अति पिछड़े जिलों की सूची में शामिल सोनभद्र में कई ऐसे टोले हैं जहां आजादी के 73वें साल में भी बिजली नदारद है.
सोनभद्र में बनती है बिजली
इस जिले का दुर्भाग्य है कि बिजली पैदा करने के बाद भी स्वयं अंधेरे में है. पूरे उत्तर भारत को रोशन करने वाले सोनभद्र के ओबरा विद्युत परियोजना क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी गांव के बाड़ी टोला के लोग आज भी विद्युत व्यवस्था से वंचित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार विकास कार्यों को लेकर गम्भीर है लेकिन अधिकारी सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं.
आजादी के 73 साल बाद भी नहीं पहुंची बिजली केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के दबाव के बाद बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा खानापूर्ति करने के लिए घरों के बाहर मीटर तो लगा दिए गए, लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव में बिजली नहीं आई. जिसको लेकर गांव के लोग परेशान हैं. गांव के लोगों का कहना है कि गांव में बिजली ना होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. शाम होते ही गांव में अंधेरा छा जाता है.
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क्रशर क्षेत्र में चौबीसों घण्टे बिजली आपूर्ति होती है जबकि बाड़ी गांव इससे लगा हुआ है. यहां ग्रामीण क्षेत्र की बिजली आपूर्ति की जानी है थोड़ा समय लग रहा है. तीन दिन में बिजली आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी.
-विवेक कुमार, उप खण्ड अधिकारी