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Sonbhadra Kaimur Forest: कैमूर वन प्रभाग में मिला एक और तेंदुए का शव - कैमूर वन्य जीव अभ्यारण

सोनभद्र के कैमूर वन्य जीव अभ्यारण (Sonbhadra Kaimur Forest Division) में एक महीने में तेंदुए का तीसरा शव मिलने पर पशु प्रेमियों में वन विभाग के प्रति नाराजगी जताई है.

पशु प्रेमियों में वन विभाग के प्रति नाराजगी
पशु प्रेमियों में वन विभाग के प्रति नाराजगी

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Published : Feb 20, 2023, 10:05 PM IST

सोनभद्र:जनपद के कैमूर वन प्रभाग में सोमवार को एक बार फिर एक और तेंदुए की शव पाया गया. जहां तेंदुए का शव गुरमा रेंज के चिरहौली के जंगल में पड़ा हुआ था. एक माह के अंदर जनपद में तेंदुए के मौत की तीसरी घटना से वन विभाग सकते में हैं. सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम जांच पड़ताल कर रही है.

जनपद के कैमूर वन प्रभाग के चिरहौली के जंगल में सोमवार को ग्रामीणों ने एक तेंदुए का शव देखा. ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई. वन विभाग की टीम ने शव को कब्जे में लेकर पोस्समार्टम के लिए भेज दिया है. वन विभाग की टीम ने बताया कि शव 2 से 3 दिन पुराना लग रहा है. टीम ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही बताया जा सकता है कि तेंदुए की मौत कैसे हुई है. हालांकि कैमूर वन प्रभाग में एक महीने के अंदर 3 तेंदुए का शव मिलने के बाद पशु प्रेमियों में वन विभाग के प्रति नाराजगी जताई है.

वन विभाग की ओर से प्रत्येक 3 वर्ष में वन्य जीवों की गणना कराई जाती है. गत वर्ष अप्रैल-मई में गणना के दौरान वन विभाग की टीम को कैमूर के जंगलों में तेंदुए की मौजूदगी के निशान नहीं मिले थे. इसी आधार पर विभाग ने कैमूर के जंगलों में तेंदुआ न होने का दावा किया था. लेकिन पिछले एक माह में तीन तेंदुआ जंगल में मिलने से सनसनी फैल गई है. इसके बाद वन विभाग कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं.


पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज नाम की संस्था के एडवोकेट विकास शाक्य ने कहा कि कैमूर वन्य जीव अभ्यारण में रहने वाले वन्यजीवों और उनके वितरण के लिए भारत सरकार ने बफर जोन के नाम पर एक किलो मीटर रेडियस का स्थान तय किया है. इसमें कोई भी गैर वानिकी कार्य नहीं होना चाहिए. परंतु सोनभद्र जिला प्रशासन पत्थर और बालू की खदानों के कारण पट्टे जारी कर रखे हैं. बड़े पैमाने पर मानवीय गतिविधियां संचालित होने के चलते सोन नदी और वन्य जीव अभ्यारण के घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुआ, तेंदुआ, ब्लैक बाघ और भालू समेत कई अन्य जीव जंतुओं के आवासी क्षेत्रों में खलल पड़ रहा है. जिसके चलते वन्यजीव आबादी वाले क्षेत्र के तरफ भागने के लिए मजबूर हो रहे हैं. पीयूसीएल संस्था इस बफर जोन की सीमा बढ़ाने और वन्य जीव अभ्यारण्य के नियमो के पालन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कह रही है.


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