सोनभद्र:अमेरिका के येलोस्टोन नेशनल पार्क से भी बड़ा पार्क उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित है.जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूरी पर बसा यह अनमोल फॉसिल्स पार्क (जीवाश्म उद्यान) अपनी खूबियों और विशेषताओं को लेकर विश्वभर में मशहूर है. कई वैज्ञानिकों की टीम ने यहां सर्वे किया है. एक सर्वे में पाया गया कि यह फॉसिल्स पार्क 140 करोड़ वर्ष पुराना है. इस पार्क की खोज साल 1933 में जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया ने की थी.
विश्व का अजूबा सालखन जीवाश्म पार्क. 50 वैज्ञानिकों की टीम ने किया सर्वे
साल 2002 में 50 वैज्ञानिकों की टीम सोनभद्र के फॉसिल्स पार्क में आई थी. टीम ने अपने सर्वे में इस पार्क के रहस्य और इतिहास को जानने की कोशिश की थी. फॉसिल्स पार्क में भू-विज्ञान एवं जैविक इतिहास के बारे में गहन अध्ययन किया जा सकता है. इसकी विशेषताओं को देखकर आज भी रिसर्च स्कॉलर यहां आते रहते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि यह फॉसिल्स धरती के आरंभ की स्थिति को बयां करता है.
सालखन जीवाश्म पार्क में मौजूद पत्थर जो पहले लकड़ी हुआ करते थे. जीवाश्म का इतिहास
फॉसिल्स पार्क को लेकर स्थानीय निवासी आशुतोष कुमार बताते हैं कि करीब 150 करोड़ साल पुरानी इस पार्क में पहले समुद्र में था. एक बदलाव हुआ और पार्क में मौजूद पौधे पत्थर के हो गए. पहले इन पेड़ों में जीवन हुआ करता था. पर्यटन और अध्ययन की दृष्टि से यह पार्क अति महत्वपूर्ण है. विकास के क्षेत्र में यहां बहुत सारे कार्य किए गए हैं. पार्क में लोगों के बैठने से लेकर तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं.
लखन जीवाश्म पार्क में पत्थर. एलबीके और स्टॉर्मलाइट की फॉसिल्स मार्क
अमेरिका के विश्व प्रख्यात येलोस्टोन नेशनल पार्क से भी यह पुराना है. येलोस्टोन नेशनल पार्क में जहां नदियां, झील, घाटियां, झरने और पहाड़ हैं. वहीं सोनभद्र का फॉसिल्स पार्क लगभग 1400 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म को लेकर मशहूर है. यहां पाए जाने वाले जीवाश्म शैवाल और स्टॉर्मलाइट्सश्रेणी के जीवाश्म हैं. यह दुनिया के सबसे पुराने जीवाश्म हैं. वहीं बारिश के दिनों में इसका नजारा ही अलग हो जाता है. हवाओं के झोकों और बारिश की बूंदों के बीच सलखन में स्थित यह पार्क पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं होता है. यहां पाए जाने वाली तरह-तरह की झाड़ियां मन को हरा-भरा कर देती हैं.
लखन जीवाश्म पार्क में पत्थर. पर्यटन के लिहाज से बेहद मुफीद जगह
प्रभागीय वन अधिकारी संजीव कुमार सिंह ने बताया कि फॉसिल पार्क के जो फॉसिल्स हैं वह फेमस यूएसए के येलोस्टोन नेशनल पार्क से भी ज्यादा पुराना है. सोनभद्र जिले में 25 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जगह पर वैज्ञानिक और रिसर्च स्कॉलर भारी संख्या में आते रहते हैं. विदेश से भी और भारत से हुई पर्यटन के लिए जिसको आर्कियोलॉजी और एंथ्रोपोलॉजी में इंटरेस्ट है, उसके लिए यह बहुत ही अच्छा टूरिस्ट प्लेस है.
जीवाश्म पार्क में मौजूद पत्थर पर लकड़ियों के निशान. कैसे पहुंचे यहां तक
सोनभद्र जिला यूपी के अंतिम छोर पर स्थित है. 4 राज्यों से सटे इस जिले में आने के लिए कई रास्ते हैं. यहां पर आने के लिए बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के रास्ते से आया जा सकता है. वहीं वाराणसी और मिर्जापुर से होकर भी आसानी से कुछ घंटों में ही जिले में पहुंचा जा सकता है. जहां फॉसिल पार्क राज्य राजमार्ग SH-5A पर सलखन गांव के पास रॉबर्ट्सगंज से 16 किमी. दूर स्थित है.