सोनभद्रः उत्तर प्रदेश शासन में 2010 से 2018 तक परिषदीय विद्यालयों में नियुक्त किए गए शिक्षकों के सर्टिफिकेट के जांच के आदेश दिए गए हैं. मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम भी गठित की गई है. इसमें एडीएम, एएसपी और एडी बेसिक शिक्षा के नेतृत्व में जांच की जा रही है. जिलें में एडीएम की तरफ से पहले दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की जांच चल रही है. जांच में पाया गया कि कुछ दिव्यांग शिक्षक दिव्यांग प्रतिशत कम होने के बावजूद अधिक प्रतिशत का सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी कर रहे हैं.
4 अध्यापकों को भेजा गया सेवा समाप्ति का नोटिस. 82 लोगों को दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर मिली थी नियुक्ति
जनपद सोनभद्र में 2010 से 2018 तक कुल 82 लोगों को दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर परिषदीय विद्यालयों में नियुक्ति हुई. इसमें 38 अध्यापक पैर से विकलांग और 18 अध्यापक श्रवण बाधित और 26 अध्यापक दृष्टिबाधित हैं.
इसे भी पढ़ें- जौनपुर: परिषदीय स्कूल अब कॉन्वेंट स्कूलों को टक्कर देने के लिए हुए तैयार
चार शिक्षकों को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी
उत्तर प्रदेश शासन से आदेश आने के बाद तत्काल जिला प्रशासन ने सभी 82 दिव्यांगों को एडीएम कार्यालय में अपने सर्टिफिकेट जांच कराने व दिव्यांगता जांच कराने के निर्देश दिए थे. इसमें 76 अध्यापक अपने सर्टिफिकेट व दिव्यांगता परीक्षण के लिए उपस्थित रहे, लेकिन कुछ अध्यापक अनुपस्थित थे. जिला प्रशासन ने अनुपस्थित अध्यापकों को नोटिस जारी कर दिया. साथ ही विकलांगता प्रतिशत कम होने के बावजूद अधिक प्रतिशत का सर्टिफिकेट लगाकर कार्यरत चार शिक्षकों को सेवा समाप्ति का नोटिस और मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए.
इसे भी पढ़ें- बलरामपुर: जिले में बिन जिम्मेदारों के चलता है कस्तूरबा आवासीय विद्यालय
इन 4 अध्यापकों के सर्टिफिकेट में मिली गड़बड़ी
- सरला देवी, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय मनरहवा टोला म्योरपुर
- जयप्रकाश, सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय अमोली 2 रॉबर्ट्सगंज
- माया शुक्ला, सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय बघुआरी रॉबर्ट्सगंज
- राजेश द्विवेदी, सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय लोढ़ी रॉबर्ट्सगंज
2010 से 2018 की नियुक्तियां में तमाम शिकायतें
एडीएम योगेंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि 2010 से 2018 की नियुक्तियां की तमाम शिकायतें शासन को आई थी, जिसके तहत शासन ने एडीएम के नेतृत्व में सभी नियुक्तियों की जांच के लिए टीम गठित की थी. इसमें एएसपी और एडी बेसिक को सदस्य बनाया गया था. इसमें सबसे पहले विकलांग सर्टिफिकेट के संबंध में जांच की गई. श्रवण व दृष्टिबाधित के मामलों को डॉक्टरों ने बीएचयू के लिए रेफर किया है. जांच में 4 अध्यापक ऐसे पाए गए हैं, जिनका विकलांगता प्रतिशत मानक के अनुसार नहीं है.