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गरीब आदिवासियों का तन ढांकने में मदद कर रही है यह 'नेकी की दीवार'

सोनभद्र के राबर्ट्सगंज कोतवाली इलाके के छपका के रहने वाले गंगेश्वर दुबे ने 4 साल पहले इस दीवार की शुरुआत की. यहां पर गरीबों के लिए हर मौसम के कपड़े मुफ्त में दिए जाते हैं.

'नेकी की दीवार' से कपड़े लेते गरीब

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Published : Apr 16, 2019, 10:16 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र: वैसे तो लोग घरों की दीवारें खुद को सुरक्षित करने के लिए बनवाते हैं, लेकिन जब यही दीवार दूसरों की मदद के लिए बनाई जाती है, तो गरीबों और असहायों को तन ढकने का एक जरिया मिल जाता है. सोनभद्र के राबर्ट्सगंज कोतवाली इलाके के एक घर में ऐसी ही 'नेकी की दीवार' है, जो जरूरतमंदों के तन को ढककर नेकी का काम कर रही है.

'नेकी की दीवार' से कपड़े लेते गरीब

यह 'नेकी की दीवार' राबर्ट्सगंज कोतवाली इलाके के छपका में स्थित गंगेश्वर दुबे के घर के बाहर है. गंगेश्वर ने चार साल पहले अपने बेटे के जन्मदिन पर गरीबों के सेवाभाव मकसद से घर की एक दीवार को 'नेकी की दीवार' नाम दिया. इसमें ये लोग जगह-जगह से पुराने कपड़े मांगकर इकट्ठा करते हैं. इसके साथ ही जिन लोगों के पास ज्यादा कपड़े होते हैं या जो कुछ पुराने हो जाते हैं, लोग स्वेच्छा से ही छोड़ जाते हैं.

हर मौसम के कपड़े हैं यहां पर
इन इकट्ठे किए गए कपड़ों को जिले के गरीब परिवार के लोग अपनी जरूरत के हिसाब से ले जाते हैं. गर्मी, बरसात या ठंड, यहां हर मौसम के कपड़े जरूरतमंदों के लिए रहते हैं.

स्वेच्छा से लोग देते हैं कपड़े
'नेकी की दीवार' के घर मालिक गंगेश्वर दुबे के भाई बृजेश धर ने बताया कि यह आदिवासी जनपद है. यहां गरीबी बहुत है. यहां पर गरीब आते हैं और कपड़े लेकर चले जाते हैं. जिसके पास अधिक कपड़े होते हैं, वह छोड़ जाते हैं. इससे गरीबों की काफी मदद होती है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

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