सोनभद्र: कोरोना संकट से निपटने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी मजदूरों को प्रदेश में ही रोजगार मुहैया कराने का आश्वासन दिया है. इसके साथ-साथ प्रवासी मजदूरों को उनके स्किल के मुताबिक भी विभिन्न विभागों में रोजगार दिया जा रहा है. मजदूरों का पलायन रोकने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा शुरू हुई, लेकिन अफसरशाही की मनमानी के चलते इस योजना की हकीकत कुछ और ही है.
सोनभद्र: मनरेगा में घोटाला, मजदूरों को नहीं मिली मजदूरी - मजदूरों को नहीं मिला मनरेगा का पैसा
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में मनरेगा में घोटाले का मामला सामने आया है. यहां वर्ष 2017-18 में मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं दी गई है. यहां तक कि किसी भी रजिस्टर में उनकी उपस्थिति भी नहीं दर्ज की गई है.
![सोनभद्र: मनरेगा में घोटाला, मजदूरों को नहीं मिली मजदूरी दो वर्षों से मजदूरों को नहीं हुआ मनरेगा की मजदूरी का भुगतान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-05:21:54:1594727514-up-son-01-manrega-wage-pkg-up10086-14072020170743-1407f-1594726663-1087.jpg)
मामला सोनभद्र जिले के चतरा ब्लॉक के करद गांव का है, जहां मनरेगा मजदूर वर्ष 2017-18 से ही अपनी मजदूरी की आस में टकटकी लगाए बैठे हैं. हालात यह हैं कि अभी तक गांव के कई श्रमिकों की पिछली मजदूरी तक नहीं मिली है. इतना ही नहीं इन श्रमिकों के जॉबकार्ड पर इनके कार्य दिवस की भी एंट्री भी नहीं की गई है. वहीं जब हमने ग्रामीणों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हम लोगों को मनरेगा के पैसे तो दूर योजना पर भी विश्वास नहीं रह गया है.
इस मामले को जब उप श्रमआयुक्त मनरेगा के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला उनके जिले में पिछले वर्ष 2019 में आने से पहले का है, लेकिन वे इस मामले की जांच कराएंगे और यदि किसी की गलती पाई गई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यदि आवश्यकता हुई तो ग्राम प्रधान तक से रिकवरी कराकर उनकी मजदूरी का भुगतान कराया जाएगा.