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सोनभद्र: लॉकडाउन में टूटी 'फूलों की कलियां', मुरझाए किसानों के चेहरे - flower farmers loss due to corona

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशानी फूल किसानों को उठानी पड़ी है. अचानक लॉकडाउन लगने से खेत में पड़ी फूलों की खेती सड़ रही है. फूल किसानों की स्थिति पर एक पंक्ति सटीक बैठ रही है...फसल तैयार...लेकिन नहीं मिल रहा बाजार...आखिर कैसे चलेगा परिवार...सोचो सरकार...

फूल की खेती.
फूल की खेती.

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Published : May 8, 2020, 10:26 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र: वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से 17 मई तक पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. इस लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशान किसान हो रहे हैं. उनकी महीनों की मेहनत बेकार हो गई. फूलों की खेती करने वाले किसानों की हालत तो और भी खराब है. लगभग तीन महीने की कड़ी मेहनत के बाद तैयार हुई फसल का कोई खरीददार नहीं है. फूलों की खेती से ही परिवार चलाने वाले किसान के सामने तो रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. कोरोना बंदी में फसल तो तैयार हो गई, लेकिन इन फसलों को बाजार नहीं मिल सका.

जानकारी देते फूल किसान.

बदहाली में किसान
जनपद के रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले कमला प्रसाद अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर फूलों की खेती करते हैं. जब फूलों की खेती तैयार हो जाती है तो इन फूलों को बाजार में माला बनाकर बेचते हैं. शादी-विवाह के समय में फूलों की अच्छी खासी बिक्री हुआ करती थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते ये परिवार बेरोजगार बना हुआ है. परिवार ने बताया कि गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी उनकी फसल नवरात्र के पहले ही तैयार हो चुकी थी, लेकिन देश में लॉकडाउन के चलते पूरी फसल खेत में ही रह गई.

लाखों का नुकसान
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन ने परिवार के विकास का चक्का ही रोक दिया. किसान ने बताया कि उनकी फसल तैयार हो गई थी, लेकिन लॉकडाउन के चलते फसल खेत में ही रह गई और लाखों रुपये का नुकसान हुआ, जिसकी वजह सेपूरा परिवार परेशान है और सरकार की तरफ आस लगाए बैठे हैं कि कुछ मदद मिल जाए.

किसान ने बताया कि वे पिछले 10 साल से लगातार फूलों की खेती करते हैं. खेत मालिक से खेत बटाई (ठेके पर) पर लेकर खेती करते हैं, जिसमें पूरा परिवार व्यस्त रहता है. इसी से उनकी रोजी-रोटी चलती है. लॉकडाउन के कारण प्रशासन उन्हें फूल बेचने नहीं दे रहा है. उनका (किसान) कहना है कि अगर सरकार उनके नुकसान की भरपाई कर दे तो उन्हें सरकार से कोई गिला-शिकवा नहीं है.

हजारों की लागत से होती है खेती
फूलों की खेती के बारे में बताते हुए किसान ने कहा कि एक सीजन में 80 हजार की लागत से वे खेती करते हैं. इसे तैयार होने में तकरीबन तीन महीने का समय लगता है. जब खेती तैयार होती है तो उसे बाजार में ले जाकर बेचते हैं. इस बार लॉकडाउन लगने के कारण खेत में तैयार फसल बाजार नहीं पहुंच सकी. एकदम से बाजार बंद होने से दो बीघा तैयार फसल उनकी खेत में ही पड़ी रही.

घर की माली हालत खराब
लॉकडाउन के चलते लाखों रुपये का नुकसान झेल रहे किसानों की माली हालत काफी खस्ता है. घर की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है. परिवार के सामने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो गया. इसके चलते उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

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