सोनभद्र:बाणसागर बांध (मध्य प्रदेश) के 16 फाटक खुलने के बाद सोनभद्र से होकर गुजर रही सोन नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है. पिछले 48 घंटे में सोन नदी के जलस्तर में 7 फीट से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है. इसके कारण तटवर्ती क्षेत्रों में संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. सोन नदी के बढ़े जलस्तर का सीधा असर जनपद की रेणुका, बिजुल व कनहर नदियों के बहाव पर भी पड़ा है.
सोन नदी का जलस्तर खतरे के निशान यानी 171 मीटर से दो मीटर नीचे 169 मीटर के करीब पहुंच गया है. विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, यहां 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की जल स्तर में वृद्धि देखी जा रही है, जो लगातार खतरे की ओर बढ़ रही है. नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी को देखते हुए तटवर्ती इलाकों में रह रहे लोगों में भय व्याप्त है और उन्हें खतरे की आशंका बनी हुई है. वहीं जिले के अपर जिलाधिकारी योगेंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि नदियों में बढ़ते जल स्तर को देखते हुए 5 से 6 चौकियों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है, जिससे बाढ़ के हालात बनने पर राहत व राशन की सुविधा मुहैया कराई जा सके. नदियों में बढ़ रहे जल स्तर पर जिला प्रशासन भी निगाह बनाए हुए है.
सोनभद्र के चोपन क्षेत्र में स्थित सोन नदी के बढ़ते जलस्तर से तटवर्ती स्थानीय निवासी डरे हुए हैं, क्योंकि नदी के तटीय क्षेत्रों में रह रहे लोग हर पल नदियों में बढ़ते जल स्तर को देख रहे हैं. बढ़े जल स्तर पर पानी छोड़े जाने से सोन नदी अपने दोनों किनारों पर लगातार बढ़ रही है. इन क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसको देखकर वह भयभीत हो रहे हैं. स्थानीय लोग अपने और आसपास के लोगों को सजग और सचेत करने की भी अपील कर रहे हैं.
सोन नदी में 1,75,586 क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है. बताया जा रहा है कि एमपी के बाणसागर के लिए जल संग्रहण करने वाले अनूपपुर, डिंडोरी, जबलपुर, मंडला, सतना, शहडोल एवं उमरिया जनपदों में बारिश सामान्य से ज्यादा हो रही है. इसको देखते हुए बाणसागर में पानी बढ़ने की लगातार संभावना बनी हुई है. इसके अलावा जनपद में सोन, बिजुल और रेणु नदी में लगातार बढ़ते जल स्तर के वजह से जनपद के तटीय गांव कुरछा, घोरिया, सेमिया, छितिक पुरवा, गोठानी, सीतापुर, चौरा, बड़गांव, कुडारी, चोपन, अम्मा टोलासमेत कई अन्य गांव के समीप नदियों का जल स्तर बढ़ रहा है. जुगल स्थित गोठानी में सोन, बिजुल व रेणु नदी के संगम में यह नदी भयावह हो जाती है.