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sonbhadra court news: न्यूज पेपर ऑफिस में लूट के चार दोषियों को कोर्ट ने सुनाई ये सजा - ऊर्जांचल वाणी समाचार पत्र कार्यालय में तोड़फोड़

जनपद में सोलह वर्ष पूर्व औड़ी मोड़ अनपरा स्थित ऊर्जांचल वाणी समाचार पत्र कार्यालय में तोड़फोड़ कर लूटपाट किए जाने के मामले में कोर्ट ने आखिरकार दोषियों को सजा सुना दी है.

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Published : Feb 3, 2023, 2:59 AM IST

सोनभद्र:वर्ष 2006 में औड़ी मोड़ अनपरा स्थित ऊर्जांचल वाणी समाचार पत्र कार्यालय में तोड़फोड़ कर लूटपाट किए जाने के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनीता सिंह की अदालत ने दोषियों को सजा सुनाई है. दोषी रामगोविंद, लाले, उदास और विद्या मिस्त्री को 3- 3 वर्ष की कैद के साथ ही ढाई- ढाई हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अर्थदंड न देने पर एक-एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी.

वर्ष 2006 में दबंगों ने हमला करके समाचार पत्र कार्यालय में की थी तोडफोड़
अभियोजन पक्ष के मुताबिक पिपरी थाना क्षेत्र के तुर्रा निवासी रामकिशुन शाही पुत्र मोहर शाही जो ऊर्जांचल वाणी समाचार पत्र के संपादक ने वर्ष 2006 में न्यायालय में धारा 156(3) आईपीसी के तहत दिए प्रार्थना पत्र में अवगत कराया था कि उसका प्रेस कार्यालय और दुकान अनपरा थाना क्षेत्र में औड़ी मोड़ बीना रोड में स्थित है. 7 नवंबर 2006 को 11 बजे दिन अनपरा थाना क्षेत्र के औड़ी निवासी रामगोविंद पुत्र बबई, अपने दोनों पुत्रों लाले और, उदास और विद्या मिस्त्री अपने साथ कुछ अन्य व्यक्तियों को लेकर प्रेस कार्यालय और दुकान का बरामदा और पिलर तोड़कर नुकसान पहुंचाने लगे. जब फोटोग्राफर विकास ने फोटो खींचना चाहा और उन लोगों को मना करने लगा तो सभी मिलकर विकास को मारपीट कर उसका कैमरा, मोबाइल और 300 रूपये जबरन छीन लिया.

इस संदर्भ में पीड़ित ने तत्काल थाना और उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. रामगोविंद, विद्या मिस्त्री, लाले और उदास अपने साथ 8-10 व्यक्तियों को लेकर सब्बल, गैता, कुल्हाड़ी, डंडा, ट्रैक्टर, जेसीबी मशीन आदि लेकर आए और प्रेस कार्यालय के साथ ही दुकान का पीलर आदि सामान तोड़कर प्रेस कार्यालय और दुकान का सारा सामान उठा ले गए. इस घटना को आसपास के लोगों ने देखा और टेलीफोन से सूचना दिया. रात्रि में ही थाने को फोन से सूचना दिया. दूसरे दिन सुबह मौके पर गया तो आसपास के लोगों ने सही जानकारी दी तो उच्चाधिकारियों को सूचना दिया. लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस ने आरोपियों ले खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं की थी.

कोर्ट के आदेश के बाद अनपरा पुलिस ने दर्ज किया था मुकदमा
पीड़ित ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि करीब 3 लाख रूपये का नुकसान हुआ है. कोर्ट ने अनपरा थानाध्यक्ष को एफआईआर दर्ज कर विधि अनुरूप विवेचना का आदेश दिया था. विवेचक ने न्यायालय में 14 सितंबर 2007 को अंतिम रिपोर्ट दे दिया, जिसपर प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. न्यायालय ने उसे स्वीकार कर लिया. उसके बाद धारा 200 सीआरपीसी के तहत रामकिशुन शाही का बयान, 202 सीआरपीसी के तहत 5 गवाहों विजय चौहान, रामबरन, गिरजेश सिंह, साहब सिंह व हाकिम सिंह का बयान दर्ज किया गया. अदालत ने 3 नवंबर 2009 को अभियुक्तगण को तलब किया था. इसी मामले में अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर चारो दोषियों रामगोविंद, लाले, उदास और विद्या मिस्त्री को 3-3 वर्ष की कैद और ढाई-ढाई हजार रूपये अर्थदंड, अर्थदंड न देने पर एक -एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी.

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