सोनभद्र : कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो सफलता जरूर मिलती है. ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है बरेली की रहने वाली सुमंगला शर्मा ने, जिसने गरीबी के बावजूद काफी संघर्ष करके तीरंदाजी में नाम कमाया. वह भारतीय महिला टीम के लिए खेलने वाली यूपी की पहली महिला बनी. इनको रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.
सुमंगला शर्मा बताती हैं कि कभी ऐसा भी समय था, जब घर पर खाने के लिए ठीक से नहीं था. उसके बावजूद मेरे ताऊजी ने हमारी पढ़ाई के लिए घर से दूर भेज दिया. वह बताती हैं कि घर पर बिना बताए ही उन्होंने 12वीं कक्षा में अपने कॉलेज में तीरंदाजी शुरू की. 4 साल बाद उनका ओलंपिक खेलने के लिए चयन हो गया. यह सब देख कर बाकी लोग दंग रह गए.
सुमंगला 2004 में एथेंस ओलंपिक में भारतीय आर्चरी संयुक्त टीम की सदस्य रही हैं. ओलंपिक में खेलने के लिए 32 वर्ष बाद कोई भी भारतीय टीम गई थी. उसमें उनकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता था. 2004 में थाईलैंड बैंकॉक में होने वाले एशियन ग्रांड पिक में इनकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. 2005 में यूरोपियन क्रांतिक में इनकी टीम में सिल्वर मेडल जीता था. 2004 में झारखंड में आयोजित हुए तीरंदाजी प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में नेशनल चैंपियन रही हैं. 2006 में कोलकाता में होने वाले तीरंदाजी में नेशनल टॉपर इंडिया रही हैं. यूपी टीम उस समय गोल्ड मेडल और यह पर्सनल सिल्वर मेडल जीती थी. वहीं 2005 और 2006 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियन रही हैं.