सीतापुर: सरकार भले ही मनरेगा के तहत मजदूरों को काम दिलाने के दावे कर रही हो, लेकिन अफसरों की लापरवाही के चलते मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. इसका एक उदाहरण महमूदाबाद तहसील में उस समय सामने आया जब मनरेगा में काम न मिलने का दर्द लेकर 36 मजदूर करीब 10 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए तहसील पहुंच गये.
काफी देर तक कोई अधिकारी न मिलने पर मजदूरों ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद कार्यालय में बैठे तहसीलदार भड़क गए और बाहर निकलकर मजदूरों पर बिफर पड़े. तहसीलदार ने मजदूरों को एफआईआर की धमकी दे डाली. मामला बढ़ा तो एसडीएम और कोतवाली पुलिस भी मौके पर पहुंच गई, जिसके बाद एसडीएम ने मजदूरों की शिकायतें सुनकर शीघ्र ही निस्तारण का भरोसा दिलाया.
ग्राम पंचायत सदरावां का मामला
यह मामला जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर महमूदाबाद तहसील का है. विकास खण्ड पहला की ग्राम पंचायत सदरावां के करीब 36 मजदूर गांव से 10 किमी दूर तक पदयात्रा करते हुए महमूदाबाद तहसील पहुंचे. मजदूर एसडीएम से मिलकर मनरेगा में काम न दिये जाने की शिकायत करना चाहते थे. काफी देर तक कोई अधिकारी मुखातिब नहीं हुआ तो मजदूरों ने तहसील में प्रदर्शन शुरू कर दिया.
तहसीलदार पर धमकी देने का आरोप
आरोप है कि मजदूरों का शोर सुनकर तहसीलदार अशोक कुमार कमरे से बाहर निकले और मजदूरों की समस्या सुनने के बजाय उन पर बिफर पड़े. फटकार लगाते हुए तहसीलदार ने कहा कि 'भीड़ लेकर यहां क्या दिखाना चाहते हो? यह कोई तरीका है? अभी एफआईआर हो जायेगी तो दुरूस्त हो जाओगे.' पूरे मामले का वीडियो भी सामने आया.
प्रधान द्वारा डरा धमकार किया जाता है अपमानित
इसी बीच एसडीएम गिरीश झा और कोतवाल अरूण द्विवेदी भी मौके पर पहुंचे. एसडीएम ने मजदूरों से बात की और शीघ्र ही समस्याओं को सुलझाने का आश्वासन दिया. मजदूर दिनेश कुमार, रामऔतार, लालराम, चांदबाबू, प्रेमचन्द आदि ने बताया कि गांव में मनरेगा से तालाब की खुदाई चल रही है. मनरेगा कार्ड धारक होने के बावजूद हम सबको काम नहीं दिया जा रहा है, जिससे खाने-पीने का संकट है. बाहर के लोगों से काम करवाया जा रहा है. कुछ कहने पर प्रधान द्वारा डराया धमकाया और अपमानित किया जाता है.