सीतापुर: उत्तर प्रदेश के सीतापुर में अधिकांश गांवों में जनप्रतिनिधियों की मनमानी और अधिकारियों की अनदेखी के चलते विकास नहीं हो पा रहा है. गांव के निवासी मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित है. सरकार की योजनाओं का लाभ भी पात्रों की जगह अपात्रों को दिया जा रहा है. शिकायत करने के बाद भी पात्र व्यक्ति को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. गांववालों का आरोप है कि विकास के लिए मिलने वाले करोड़ों रुपयों से जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी अपने खजाने भर रहे हैं.
चुनाव के समय प्रत्याशी गांव में पहुंचकर लोगों की समस्याओं को दूर करने के वादे करते हैं. चुनाव जीतने के बाद उन वादों को भुला दिया जाता है. चुने हुए जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों और गांवों में विकास तो दूर वहां दोबारा झांकने तक नहीं जाते हैं. सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए विभिन्न मद और योजनाओं के माध्यम से धन उपलब्ध कराती है. इसके बाद भी धरातल पर कोई विकास नहीं होता. सिर्फ कागजों में ही गांवों का विकास हो रहा है. यही कारण है कि आजादी के 73 साल बाद भी गांवों की सूरत में खास परिवर्तन नहीं हो सका है.
सीतापुर जनपद के विकास खण्ड कसमंडा क्षेत्र के दहैय्या के मजरा तिवारीपुर गांव की आबादी 1500 से अधिक है. यहां रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नसीब नहीं हैं. गांव के लिए आने वाला मुख्य मार्ग वर्षों से खराब है. गांव में जलनिकासी के लिए नालियां नहीं है. खरंजा, हैण्डपम्प, आवास, शौचालयों की भी कमी है.
चुनाव के दौरान ही दिखते हैं प्रत्याशी
ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव के समय ही जिला पंचायत क्षेत्र पंचायत प्रधान पद के उम्मीदवार गांव में वोट मांगने के लिए आते हैं. गांव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा करते हैं. लेकिन, चुनाव जीतने के बाद अपने वादे भूल जाते हैं. पिछले पांच वर्षों में जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान ने कोई भी विकास कार्य यहां नहीं कराए हैं.
हैंडपम्प से आता है खराब पानी
ग्रामीण ताजे लाल ने बताया कि प्रधान ने विकास के पैसे अपनी जेब में रख लिए. उसने गांव में न तो रास्ता बनवाया, न ही नल लगवाए और न ही नाली बनवाई. आवास का भी लाभ गरीबों को नहीं दिया जा रहा है. हमारे घर के सामने लगे हैण्डपम्प से दूषित पानी निकलता है. गांव में बहुत कम हैण्डपम्प है. वो भी खराब पानी देते हैं.
फिर आने लगे प्रत्याशी