सीतापुर:जनपद में अनलॉक-1 में जिला महिला अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. इस भीड़ पर अंकुश लगाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने आशा बहुओं के अस्पताल में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है. अस्पताल प्रशासन के इस निर्णय से आशा बहुओं में नाराजगी है. वहीं सीएमएस का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए यह निर्णय लिया गया है.
अस्पताल में मरीजों की उमड़ी भीड़
जनपद में अनलॉक-1 लागू होने के बाद मरीजों ने अस्पताल की ओर रुख कर दिया है. गंभीर से लेकर सामान्य बीमारियों के इलाज के लिये शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं जिला महिला अस्पताल में ही इलाज कराना ज्यादा मुफीद मान रही हैं. इसके वजह से महिला चिकित्सालय में इन दिनों मरीजों और तीमारदारों की भारी भीड़ उमड़ रही है. इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने के लिए आशा बहुएं भी उनके साथ पहुंच रही हैं, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं.
आशा बहुओं का अस्पताल परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित
महिला अस्पताल में लोंगो की भीड़ नियंत्रित करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने आशा बहुओं का अस्पताल परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है. इसके चलते आशा बहुओं में काफी नाराजगी है और वे इस आदेश को वापस लेने की मांग कर रही हैं. वहीं दूसरी ओर सीएमएस का कहना है कि अस्पताल परिसर में भीड़ का दबाव कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया है. इससे आशा बहुओं के मानदेय पर कोई असर नहीं पड़ेगा. वे जो भी मरीज को यहां लाएंगी, उसमें आशा बहू की स्लिप के आधार पर नाम दर्ज करके उनका मानदेय दिया जाएगा.
सीएमएस ने यह भी कहा कि तमाम मरीज पीएचसी-सीएचसी पर परामर्श न लेकर सामान्य बीमारी में भी सीधे यहां आ जाते हैं. इनके बारे में भी रेफर होने पर ही देखने का निर्णय लिया गया है. इससे अनावश्यक भीड़ को रोककर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा सके. पूरे जिले में 3,691 आशा बहुएं कार्यरत हैं, जो प्रसव कराने के लिए महिला मरीजों को अस्पताल लेकर आती हैं. जिला महिला अस्पताल की ओपीडी में इन दिनों 250 से 300 मरीज देखे जा रहे हैं. इसके अलावा महिलाओं का प्रसव भी कराया जाता है.