महोबा: लोगों की सुरक्षा में पुलिस सदैव तत्पर्य रहती है लेकिन कभी सरकार ने उनके रहने के लिए बेहतर जगह पर पुलिस चौकी की व्यवस्था पर घ्यान नहीं दिया. अब तो खुद खाकी कहने लगी है कि हम लोग खौफ के साये में रहते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड के महोबा जनपद की जहां पर विभाग की खुद की पुलिस चौकी ही नही हैं. जिस चौकी में लोगों की सुरक्षा में लगे खाकीधारी रहते है. वे खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं ये सारी बातें खुद चौकी प्रभारी कह रहे हैं.
महोबा: खस्ताहाल मंदिर के भवन में चल रही पुलिस चौकी, खाकी धारी खौफ के साये में जीने को मजबूर
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में चरखारी कोतवाली क्षेत्र की गौरहारी पुलिस चौकी खस्ताहाल मंदिर के भवन में चल रही है. इस चौकी में चौकी प्रभारी सहित छह कांस्टेबल रहते हैं जो खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.
इसे भी पढ़ें:- बलरामपुर: महिलाएं अब नहीं रहेंगी स्टांप जनप्रतिनिधि, पुलिस ने शुरु की कार्रवाई
पहले गौरहारी गांव थाना पनवाड़ी में आता था. यहां पर दो पार्टी होने की वजह से दंगा और कत्ल को देखते हुए सन 1980 में मंदिर की जमीन पर पुलिस चौकी बना दी गई थी. तब से यह चौकी इसी जगह से चल रही है. अब यहां रहना खतरे से खेलना जैसा है. फिर भी विभाग द्वारा कोई कदम नही उठाया जा रहा.
-योगेंद्र मिश्रा, ग्रामीण
वर्तमान में पुलिस चौकी मंदिर की जमीन पर चल रही है. जो पूरी तरह से गिरने की कगार पर है. हम लोगों ने चंदा करके एक नई पुलिस चौकी का निर्माण कराया था. इसका पैसा यहां पर पूर्व में तैनात चौकी प्रभारी को दिया गया था लेकिन उनका ट्रांसफर होने के बाद वह पैसा लेकर चले गए. इसलिए अब पुलिस चौकी कम्प्लीट नही हो सकी.
-राजू राजपूत, ग्राम प्रधान
सन 1980 में पुलिस चौकी एक मंदिर की जमीन पर खोली गई थी. जो आज भी उसी जमीन पर चल रही है. विभाग की खुद की चौकी नही हैं. बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है और सांप बिच्छू भी निकलते रहतें हैं. मजबूरी में हम लोग खौफ के साये में रहते हैं. ग्रामीणों और प्रधानों के सहयोग से नई पुलिस चौकी का निर्माण कराया गया लेकिन वह भी आधी-अधूरी बनी पड़ी है.
-अनिल कुमार, चौकी प्रभारी