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खाकी ने दिखाई मानवता, रात में महिला ने मांगी मदद तो किया ये काम - औरेया की महिला नियुक्त हुई सहायक शिक्षक

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में औरेया से आई एक महिला रात में अकेले फंस गई. जाने के लिए कहीं कोई साधन नहीं मिला. ऐसे में खाकी उसकी मददगार बनी और रहने-खाने की व्यवस्था की. सुबह उठकर महिला ने कहा कि इस मदद को जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगी.

आरती गोस्वामी
आरती गोस्वामी

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Published : Dec 8, 2020, 1:13 PM IST

सीतापुर: यूपी की पुलिस का नाम अक्सर विवादों और आरोपों में आता है पर इस बार खाकी ने जो किया उसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा है. बात हो रही है सीतापुर जिले में घटी घटना की. यहां सोमवार रात 9 बजे एक महिला रात में अकेले फंस गई. वह अपने रिश्तेदार कर घर जा रही थी पर रात में कोई साधन नहीं मिल रहा था. ऐसे में पुलिस ने न केवल उसके रहने का इंतजाम किया बल्कि खाने-पीने, सुरक्षा हर चीज का खयाल रखा.

महिला की मदद

यूं शुरू हुई घटना
सोमवार को रात के करीब 9 बज रहे थे. कोतवाली में महिला हेल्प डेस्क पर तैनात आरक्षी श्वेता गुप्ता शहर कोतवाल टीपी सिंह के पास पहुंचीं. बोलीं, गैर जनपद से आई एक युवती मिलना चाहती है. इंस्पेक्टर ने इजाजत दी. महिला कोतवाल के दफ्तर में दाखिल हुई तो उसके चेहरे पर परेशानी छलक रही थी. पूछने पर उसने अपना नाम आरती गोस्वामी निवासी जिला औरैया बताया.

रात में फंसी थी महिला
आरती ने बताया कि उसका सहायक शिक्षक पद पर चयन हुआ है. वह अकेली है. उसका यहां कोई मददगार नहीं है. पास में इतने पैसे भी नहीं हैं कि होटल में ठहर सके. इतनी बात सुनते ही कोतवाल समझ गए. कोतवाल ने फौरन महिला आरक्षी रिचा यादव को उसकी सुरक्षा का, ठहरने की व्यवस्था करने का व ख्याल रखने का आदेश दिया. इंस्पेक्टर बोले, आज यह बेटी मेरी मेहमान है. रिचा तुम इसको अपने साथ रखो. खाना खिलाओ और इसे किसी चीज की परेशानी नहीं होनी चाहिए. सिपाही रिचा भी खुशी-खुशी में मेजबान बन गई और रात भर आरती सिपाही रिचा के साथ बहन बन कर रही.

बचपन में हो गई थी पिता की मौत
कोतवाल उसकी दास्तान को सुनकर भावुक हो गए. आरती ने बताया कि जब वह 5 साल की थी तब उसके पिता का देहांत हो गया था. उसकी पांच बहने हैं. मां ने गरीबी के बाद भी उसे पढ़ाया लिखाया. आज वह योगी सरकार में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त हो गई .

मिशन शक्ति के तहत मदद
पुलिस अधीक्षक आरपी सिंह का कहना है कि आरती गोस्वामी औरैया की रहने वाली हैं. एक गरीब परिवार से संबंध रखती हैं. इनका चयन सहायक अध्यापिका के पद पर हुआ है. मेडिकल कराने गई थीं पर मेडिकल नहीं हो पाया. शाम हो गई अपनी रिश्तेदारी में जाना चाहती थीं पर कोई साधन नहीं मिला. इन्होंने मिशन शक्ति के तहत महिला हेल्प डेस्क पर जाकर संपर्क किया. महिला आरक्षी ने कोतवाल से मिलवाया, कोतवाल ने इनकी समस्या को सुना और अगले दिन इन्हें घर तक पहुंचाया.

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