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सीतापुर: जयंती पर भी नहीं याद रहे आचार्य नरेंद्र देव, जन्मस्थली में ही हुए उपेक्षित

गुरुवार को प्रख्यात शिक्षाविद आचार्य नरेन्द्र देव की जयंती थी, लेकिन आचार्य नरेन्द्र देव अपनी जन्मस्थली सीतापुर में ही उपेक्षा का शिकार हो गए. उनकी जयंती पर शहर के विभिन्न स्थानों पर लगी उनकी प्रतिमाएं फूल-मालाओं का इंतजार करती रहीं, लेकिन किसी ने भी इस महान विभूति को याद करने की जरूरत नहीं समझी.

जयंती पर भी नहीं याद रहे आचार्य नरेन्द्र देव.

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Published : Nov 1, 2019, 12:50 PM IST

सीतापुर: समाजवादी आंदोलन के प्रणेता और प्रख्यात शिक्षाविद आचार्य नरेंद्र देव अपनी जन्मस्थली सीतापुर में ही उपेक्षा का शिकार हुए. 31 अक्टूबर को उनके जन्मदिवस पर न तो कोई आयोजन किया गया और न ही उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन ही अर्पित किया गया. यही नहीं सपा ने अपने जिला कार्यालय पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती तो मनाई, लेकिन आचार्य नरेंद्र देव को भुला दिया.

जयंती पर भी नहीं याद रहे आचार्य नरेन्द्र देव.

नहीं याद रही आचार्य नरेंद्र देव की जयंती
समाजवादी आंदोलन के प्रमुख स्तम्भ और लखनऊ के अलावा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उप कुलपति रहे आचार्य नरेन्द्र देव के सामाजिक योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता. उनका जन्म सीतापुर शहर के मोहल्ला तामसेनगंज स्थित मुरली निवास में 31 अक्टूबर 1889 को हुआ था. उनकी जयंती पर शहर के विभिन्न स्थानों पर लगी उनकी प्रतिमाएं फूल मालाओं का इंतजार करती रहीं, लेकिन किसी ने भी इस महान विभूति को याद करने की जरूरत नहीं समझी.

समाजवादी पार्टी का गढ़ है ये जिला
इस जिले को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है. 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर यहां के सात विधायक चुने गए थे. इसके अलावा सीतापुर की लोकसभा और विधान परिषद की सीटें भी सपा के खाते में रह चुकी हैं. इसके बावजूद समाजवाद के प्रणेता का जन्मदिन सपा ने ही भुला दिया. सपा के जिला कार्यालय पर लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन का कार्यक्रम तो हुआ पर समाजवादी आंदोलन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाले आचार्य नरेन्द्र देव को किसी ने याद तक नहीं किया.

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