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सीतापुर: घाटे में चल रहा रोडवेज, आठ दिन में हुई सामान्य दिनों के एक दिन की आमदनी

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में रोडवेज इन दिनों घाटे में चल रहा है. पिछले आठ दिनों में रोडवेज की कमाई आम दिनों की कमाई के एक दिन के बराबर हुई है. इससे सीतापुर रोडवेज को काफी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.

सीतापुर
घाटे में सीतापुर रोडवेज

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Published : Jun 10, 2020, 6:32 PM IST

सीतापुर: रोडवेज बस सेवा अनलॉक-1 शुरू होने के साथ ही यात्रियों की कमी के कारण घाटे में चल रही है. चंद यात्रियों को लेकर यह रोडवेज बसें उनकी मंजिल तक तो पहुंच रही हैं, लेकिन उनकी कमाई का मकसद अधूरा है. पिछले आठ दिनों के भीतर ही इस डिपो को लाखों रुपये का घाटा उठाना पड़ा है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आमदनी से ज्यादा खर्च उठाना पड़ रहा है.

सीतापुर डिपो में वर्तमान समय में 187 बसों का बेड़ा है, जिसमें 77 बसें अनुबंधित हैं. लॉकडाउन के पूर्व तक इन बसों के संचालन से विभाग को करीब 22 लाख रुपये की आय होती थी. लॉकडाउन के बाद यह बस सेवाएं बंद कर दी गईं, जिन्हें बीती 1 जून से दोबारा शुरू कर दिया गया है. अनलॉक-1 का यह दौर परिवहन विभाग के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है. विभाग ने करीब 22 रूटों पर अपनी बस सेवाएं शुरू कर दी हैं, लेकिन यात्रियों का टोटा है. इसके चलते विभाग की कमाई पर खासा असर पड़ रहा है.

एआरएम विमल राजन ने बताया कि 1 जून से 8 जून के बीच सीतापुर डिपो की बसों ने 1 लाख 25 हजार किलोमीटर का सफर तय किया है. इसमें करीब 30 हजार यात्रियों ने यात्रा की. इससे विभाग को करीब 23 लाख रुपये की आय हुई जो कि लॉकडाउन से पहले सामान्य दिनों की एक दिन की आय हुआ करती थी. उन्होंने बताया कि रोजाना का खर्च 5 से 7 लाख रुपये है, जबकि आमदनी का औसत 3 लाख रुपये से कम है. इस प्रकार विभाग को जबरदस्त घाटा उठाना पड़ रहा है.

परिवहन विभाग के घाटे का एक कारण अंतरराज्यीय बसों का संचालन भी ठप होना है. सीतापुर डिपो से दिल्ली के अलावा अजमेर, राजस्थान, हरिद्वार, सोनोली, रुपईडीहा आदि के लिए बसों का संचालन किया जाता था. इसके बंद होने के कारण भी निगम की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

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