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कोरोना संक्रमण ने बढ़ाई साफ-सफाई की प्रवृत्ति, डेंगू और मलेरिया के मरीज हुए कम

कोरोना की वजह से इस बार लोगों ने साफ-सफाई पर खासा ध्यान दिया, जिसके कारण मच्छर जनित डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के आंकड़ों में काफी गिरावट आई है. वहीं लॉकडाउन के दौरान फास्ट फूड की दुकानें बंद होने से गैस्ट्रो के भी मरीजों में कमी आई है. इस बारे में डॉक्टरों का क्या कहना है, जानने के लिए पढ़ें ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट...

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Published : Sep 25, 2020, 8:58 PM IST

Published : Sep 25, 2020, 8:58 PM IST

डेंगू और मलेरिया
डेंगू और मलेरिया

सीतापुर: एक ओर कोरोना संक्रमण की भयावह तस्वीर है तो दूसरी ओर इसके भय से लोगों में पनपी साफ-सफाई की प्रवृत्ति ने मच्छर जनित डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के प्रकोप पर अंकुश लगा दिया है. इतना ही नहीं गैस्ट्रो और टाइफाइड जैसी बीमारियों में भी काफी कमी आई है. कोरोना संक्रमण का साया तो लोगों पर है ही, लेकिन डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों को लेकर अब वे निश्चिंत दिखाई दे रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं.

देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

प्रदेश के अन्य जिलों की तरह सीतापुर जिले में भी कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस को अपनाकर लोगों ने साफ-सफाई पर खासा ध्यान दिया है. इसके संक्रमण से बचाव के लिए लोगों ने पर्सनल हाइजीन पर ध्यान केंद्रित किया है और घर के आसपास की गंदगी को हटाकर साफ-सफाई को महत्व दिया है. लोगों की यह प्रवृत्ति मच्छर जनित डेंगू और मलेरिया जैसे रोगों पर अंकुश लगाने में सफल रही है. वहीं बाहर के खानपान से परहेज के कारण दूषित पेयजल और दूषित भोज्य पदार्थों से होने वाली पेट संबंधी बीमारियों में भी काफी हद तक गिरावट आई है.

चौंकाने वाले हैं आंकड़े
डेंगू के प्रसार पर नियंत्रण हेतु नियुक्त किये गए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2019 में 10 सितंबर तक डेंगू के 96 केस सामने आये थे, जबकि इस बार इस अवधि में सिर्फ 6 केस ही सामने आए हैं. चिकनगुनिया के पिछले वर्ष 4 केस पंजीकृत हुए थे, लेकिन इस बार सिर्फ दो केस पंजीकृत हुए हैं. पिछले पूरे वर्ष में मलेरिया के कुल 1,264 केस सामने आए थे. इस वर्ष 10 सितंबर तक 121 केस सामने आए हैं. पिछले वर्ष दिमागी बुखार के 145 केस सामने आए थे, जबकि इस बार 28 केस सामने आए हैं. जुलाई और अगस्त का महीना इन बीमारियों के लिए काफी पीक होता है, लेकिन इस बार मरीजों की संख्या सीमित रही है.

मच्छरों से उत्पन्न होने वाली बीमारियों में आई कमी
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण लोगों में साफ-सफाई की प्रवृत्ति बढ़ी है. इसी कारण मच्छरों से उत्पन्न होने वाली बीमारियों में अपेक्षाकृत काफी कमी आई है. लोगों ने कूलर का भी कम इस्तेमाल किया है, जिससे कूलर के पानी से उत्पन्न होने वाले मच्छर नहीं पनप पाए और इस तरह की बीमारियों पर काफी हद तक अंकुश रहा. इस बार डेंगू और मलेरिया के केस में कमी होने से मरीजों की अस्पताल में आमद भी कम हुई है. नतीजतन जिला अस्पताल में बने डेंगू वार्ड में सन्नाटा पसरा हुआ है.

लोगों ने साफ-सफाई को दिया महत्व
शहर के प्रख्यात निजी चिकित्सक डॉ. सतीश महावर ने बताया कि कोरोना से बचाव के लिए लोगों ने साफ-सफाई को काफी महत्व दिया है. कई-कई बार हाथ धुलने और अपने घर के भीतर से लेकर घरों के आसपास सफाई रखने से इस मौसम में मुख्य रूप से फैलने वाली बीमारियों पर काफी नियंत्रण रहा है. लोगों ने लॉकडाउन के दौरान घर का ही निर्मित भोजन-नाश्ता आदि इस्तेमाल किया, जिससे पेट संबंधी रोगों पर भी काफी हद तक अंकुश लगा है. ठेले और खोमचे पर खाने की प्रथा भी बंद होने से लोगों को ऐसी बीमारियों से निजात मिली है.

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कोरोना संक्रमण के भय का असर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों पर भी दिखाई दिया है. झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग भी साफ-सफाई को लेकर सजग दिखाई दिए. वहीं मलिन बस्तियों में भी अधिकांश स्थानों पर साफ-सफाई का आलम दिखाई दिया, जिससे इन बस्तियों में डेंगू, मलेरिया, इंसेफ्लाइटिस और गैस्ट्रो जैसी बीमारियों का असर कम ही दिखाई दिया. वहीं जिले के कुछेक स्थानों पर गंदगी का भी प्रभाव दिखाई दिया.

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