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सीतापुर की पोषक नहर सूखी, किसान कैसे करें फसलों की सिंचाई - सीतापुर की मुख्य नहर में पानी न आने से किसान परेशान

यूपी के सीतापुर में गेंहू की बुआई अंतिम दौर में है, लेकिन मुख्य नहर में पानी नही छोड़ा गया है. इस मुख्य नहर में पानी न आने से सीतापुर, लखनऊ व बाराबंकी के किसान परेशान हैं. किसानों को अपने गेहूं की फसल की सिंचाई करने के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहा हैं.

सीतापुर की मुख्य नहर अभी तक सूखी.
सीतापुर की मुख्य नहर अभी तक सूखी.

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Published : Dec 15, 2020, 11:13 AM IST

सीतापुर: वर्तमान भाजपा सरकार किसानों की आय दो गुनी करने का दंभ भले ही भर रही हो लेकिन जमीन हकीकत कुछ और ही है. जिले में गेंहू की बुआई अंतिम दौर में है, लेकिन जिले की मुख्य नहर में पानी नहीं छोड़ा जा सका है. यह नहर लखीमपुर खीरी से निकलकर सीतापुर होते हुए लखनऊ व बाराबंकी जिले तक जाती है. इस मुख्य नहर में पानी ना आने से किसान परेशान हैं.

सीतापुर की पोषक नहर अभी तक सूखी.

किसानों को नहर में पानी आने का इंतजार
जिले की पोसक नहर कही जाने वाली सारदा सहाय खीरी ब्रांच नहर में अभी तक नहर विभाग द्वारा पानी नही छोड़ा जा सका है. जब कि आधा दिसंबर बीत चुका है. इस मुख्य नहर से ही सीतापुर, लखनऊ व बाराबंकी की छोटी, छोटी नहरों व माईनरों में पानी छोड़ा जाता है. इस समय गेंहूं की फसल में पहला पानी लगने की जरूरत है लेकिन अभी तक पानी आया है. निजी नलकूपों द्वारा अधिकांश किसानों ने खेतों में पलेवा करके गेहूं की फसल बुआई कर ली है. वहीं गरीब किसान अभी भी नहरों में पाने आने के इंतजार में है. वहीं जिन किसानों ने गेहूं आदि की फसल बुआई कर चुके हैं, उसमें सिंचाई के लिए नहर में पानी का इंतजार कर रहे हैं.

कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी
जिले किसान नेता आरपी सिंह चौहान ने कहा कि सरकार का दावा है कि किसानों की आय दो गुनी करेंगे, जबकि हकीकत इसके विपरीत है. उन्होंने कहा कि सीतापुर जिले की पोषक नहर में अभी तक पानी नही छोड़ा गया है. जब किसानों को खेतों में पलेवा करना था तभी पानी नहीं था और अब किसान को पहली सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है, अभी भी नहर में पानी नहीं है. जब नहर में पानी सरकार दे नही पा रही है और रकारी नलकूप वर्षों से खराब पड़े हैं, तो कैसे किसान की आय दो गुनी होगी. उन्होंने कहा कि जब नहर में नहीं आता है तो किसान निजी नलकूप से सिंचाई करता है. इससे डीजल की खपत होती है तो किसान की लागत बढ़ती है. दूसरा नुकसान जब पराली जलाने से प्रदूषण होता है तो डीलज जलने से भी प्रदूषण होता है. वहीं भूगर्भ जल का दोहन सिंचाई में होता है

16 या 17 दिसंबर को पानी छोड़ने की संभावना

सरकार के दावों व हकीकत में कितना अंतर है यह साफ जाहिर हो रहा है. सरकार के नेताओं के रोज बयान आते हैं कि किसान की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन जब आप जमीन पर देखेंगे तो किसान की सुध लेने वाला कोई है नही. सीतापुर प्रखण्ड शारदा नहर सीतापुर के सहायक अभियन्ता प्रथम शिव शंकर यादव के कार्यालय पहुंच कर उनका पक्ष जानने के लिए जाया गया, लेकिन वह कार्यालय में नहीं मिले. सहायक अभियंता ने फोन पर बताया कि खीरी हेड़ से 16 य 17 दिसंबर को नहर में पानी छोडे़ जाने की जानकारी मिली है.

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