सीतापुर: जिले के किसानों को गन्ने की फसल खूब भा रही है. अधिकांश किसान दूसरी फसलों की बजाय गन्ने की खेती को ज्यादा महत्व दे रहे हैं, जिससे पूरे जिले में गन्ने का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है. गन्ने की अधिक उत्पादकता के कारण जिले की पांच चीनी मिलें भी पूरी क्षमता के साथ गन्ने की पेराई करके चीनी उत्पादन को बढ़ावा दे रही हैं. इससे जहां किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है, वहीं चीनी मिलों के संचालन से लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.
खेतों में लहलहा रही गन्ने की फसल को देखकर सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां का किसान गन्ने की पैदावार करके आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहा है. पिछले कई वर्षों से यहां गन्ने की फसल का दायरा लगातार बढ़ रहा है. इस बार के सर्वे के मुताबिक, जिले में 1 लाख 94 हजार 825 हेक्टेयर भूमि पर गन्ना बोया हुआ है जो कि खरीफ की फसल से ज्यादा है.
जिला गन्ना अधिकारी ने दी जानकारी
जिला गन्ना अधिकारी संजय सिसौदिया के अनुसार, इस बार 765.96 कुंतल प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन होने की उम्मीद है. लगभग 15 करोड़ कुंतल गन्ने की पैदावार होगी. उन्होंने बताया कि पिछले गन्ना पेराई सत्र में किसानों ने चीनी मिलों को जो गन्ना आपूर्ति की थी. उसके मुताबिक, उनका 1867 करोड़ रुपये वाजिब मूल्य निर्धारित हुआ था, जिसमें से अब तक 1601 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया जा चुका है.
सीतापुर के किसानों को भा रही गन्ने की खेती. जिला गन्ना अधिकारी की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, पहले जनपद का किसान प्रति बीघा 25 से 30 कुंतल गन्ने की पैदावार करता था, लेकिन अब नई विधि से वह 50 से 60 कुंतल प्रति बीघा गन्ने का उत्पादन कर रहा है. यहां तक कि कुछ प्रगतिशील किसान नई तकनीक के माध्यम से 100 कुंतल तक प्रति बीघा तक गन्ने की पैदावार कर रहे हैं. जिले में वर्तमान समय में कुल पांच चीनी मिले संचालित हैं, जिनमें चार निजी क्षेत्र की और एक चीनी मिल सहकारी क्षेत्र की है. इन चीनी मिलों के अलावा पड़ोसी जनपद की चीनी मिलों में भी यहां के गन्ने की आपूर्ति की जाती है, जिससे किसानों को गन्ने की आपूर्ति करने में कोई दिक्कत नहीं आती है.
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गन्ना उत्पादन को लेकर जब बड़े काश्तकारों से लेकर लघु एवं मध्यम किसानों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह सबसे सुरक्षित फसल है. इस फसल पर प्रतिकूल मौसम का भी कोई खास असर नहीं पड़ता है. जवाहरपुर के रहने वाले प्रगतिशील किसान अमित मिश्रा एक निजी स्कूल में शिक्षक भी है. उन्होंने बताया कि गन्ने की फसल को कैश क्रॉप यानी कि नकदी फसल माना जाता है. सूखा या फिर अधिक बारिश होने पर भी गन्ने की फसल के उत्पादन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है और एक साथ अच्छा मूल्य भुगतान प्राप्त होता है.
किसानों ने गन्ने की फसल को बताया मुनाफे का सौदा
किसान आदित्य कुमार ने भी बताया कि इसमें लागत कम, मुनाफा अधिक है और नुकसान की संभावना न के बराबर है. इसी कारण यहां का किसान गन्ने की खेती करना ज्यादा फायदेमंद मानता है. गन्ना किसान लालू राठौर ने बताया कि एक बार फसल बोने पर दो बार फसल काटने का लाभ मिलता है. कम लागत के साथ ही कम नुकसान कि आशंका और अधिक लाभ के कारण यहां का किसान गन्ने की खेती करना ज्यादा पसंद करता है. यदि किन्हीं परिस्थितियों में किसान का गन्ना चीनी मिल में आपूर्ति से बच जाता है तो वह क्रेशर और गुड़ बेल पर भी अपना गन्ना बेचकर नकद और वाजिब मूल्य हासिल कर लेता है. सब्जी आदि की पैदावार करने पर देखभाल अधिक करनी पड़ती है और लागत भी अधिक आती है. वहीं सब्जी की फसल में जोखिम भी अधिक रहता है, जबकि गन्ने की खेती में यह सारी समस्या कम रहती है.