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सीतापुर: कूड़ा जलाने से बढ़ रहा पर्यावरण प्रदूषण, खराब हो रही शहर की हवा

पराली के बाद अब पर्यावरण के लिए कूड़ा भी खतरे का सबब बनने लगा है. कूड़ा जलाने के भी खासे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि इसके बावजूद भी जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है.

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Published : Nov 26, 2019, 8:39 PM IST

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कूड़ा जलाने से बढ़ा पर्यावरण प्रदूषण.

सीतापुर: जिले में पराली जलाने को लेकर पर्यावरण को गम्भीर खतरा तो पैदा हो रहा है, लेकिन चिमनियों और कूड़े जलाने के भी खासे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. प्रशासन पराली जलाने पर रोक लगाने की दिशा में तो कार्रवाई कर रहा है लेकिन पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले दूसरे कारणों पर उसकी कोई निगाह नही पड़ रही है.

कूड़े जलाने से भी बढ़ा पर्यावरण प्रदूषण.
सूबे की राजधानी से सटे सीतापुर में भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. यहां पराली के साथ गुड़ बेलों से निकलने वाला धुंआ प्रदूषण फैलाकर पर्यावरण को गंभीर खतरा पैदा कर रहा है. यही नहीं शहर में जगह-जगह पर लगे कूड़ेदानों में जमा होने वाला कूड़ा भी हटाने की बज़ाय उसी में जलाया जा रहा है.

कूड़ेदान से निकलने वाला धुंआ पूरे वातावरण में ज़हर घोल रहा है. लोगों को सांस लेने तक में परेशानी हो रही है. आश्चर्य की बात यह है कि इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है. कोर्ट और सरकार की सख्ती के बाद जिला प्रशासन ने किसानों को जागरूक करने के साथ ही उन पर कार्रवाई भी की, लेकिन अन्य कारणों पर अब भी कार्रवाई शून्य है.

वहीं जिला कृषि अधिकारी और जिलाधिकारी का कहना है कि पर्यावरण को लेकर प्रशासन पूरी तरह गंभीर है. किसानों को पराली जलाने से होने वाले दुष्परिणामों के साथ ही अवशेषों को खेत में ही खाद के रूप में इस्तेमाल करने की जानकारी मुहैया कराई जा रही है. फिर भी जो लोग पराली जला रहे हैं उनके खिलाफ जुर्माना या केस दर्ज कराने की कार्रवाई की जा रही है.

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