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पराली के बदले मिलेगी गोबर की खाद, जानिए किसने किया वादा - जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज

यूपी के सीतापुर में बुधवार को फसल अवशेष प्रबन्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत जनपद स्तरीय किसान गोष्ठी हुई. इस कार्यक्रम में स्टॉल लगाकर किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और पराली प्रबन्धन की जानकारी दी गई. इस दौरान डीएम ने कहा कि पशुधन विभाग का प्रयास है कि किसान भाइयों से पराली लेकर उसका प्रयोग निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों पर चारे के रूप में किया जाए. किसानों को इसके बदले गोवंश आश्रय स्थलों पर बनने वाली खाद दी जाए.

DM ने पराली प्रबंधन को लेकर की चर्चा
DM ने पराली प्रबंधन को लेकर की चर्चा

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Published : Nov 18, 2020, 9:23 PM IST

सीतापुर: जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज की अध्यक्षता में रामकोट स्थित राजकीय कृषि एवं बीज संवर्धन प्रक्षेत्र में फसल अवशेष प्रबन्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत जनपद स्तरीय किसान गोष्ठी हुई. इसमें जिलाधिकारी ने कृषि विभाग के स्टॉलों का निरीक्षण किया. गोष्ठी में कृषि वैज्ञानिकों एवं विभागीय अधिकारियों ने किसानों को आवश्यक जानकारियां दीं. इस अवसर पर छह कृषक समूहों को अनुदान पर फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए ट्रैक्टर की चाबी सौंपी गई. किसानों को इस कार्यक्रम में स्टॉल लगाकर पराली जलाने से होने वाले नुकसान और पराली प्रबन्धन के बारे में जानकारी दी गई. कृषि यंत्र मल्चर, पैडी स्ट्रा चापर और सुपर सीडर का उपयोग करके दिखाया गया.

पराली प्रबंधन पर हुई चर्चा
कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य विषय पराली प्रबन्धन है. पराली से होने वाला नुकसान सर्वविदित है. फसल के अवशेष जलाने से प्रदूषण होता है. साथ ही सहयोगी कीट और बैक्टीरिया पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. प्रदूषण का असर हमारे स्वास्थ्य एवं वातावरण पर भी पड़ता है. इससे सांस की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को दिक्कत होगी.

सरकार का यह प्रयास है कि पराली जलाने की कुप्रथा खत्म की जाए. जिलाधिकारी ने बताया कि पराली को खेत में छोड़कर और डिकम्पोजर का प्रयोग करके अगले सीजन के लिए खाद तैयार की जा सकती है. इससे खर्च में भी कमी आएगी.

पराली के बदले मिलेगी खाद
जिलाधिकारी ने कहा कि पशुधन विभाग का प्रयास है कि किसानों से पराली लेकर उसका प्रयोग निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों पर चारे के रूप में किया जाय. इन गो आश्रय स्थलों के गोबर का प्रयोग खाद के रूप में किया जाए. इससे पराली का उपयोग गोवंश के लिए चारे के रूप में हो जाएगा और वहां पर बन रही गोबर की खाद का उपयोग हो सकेगा. इस तरह से दोनों के लिए एक लाभकारी व्यवस्था बन सकेगी. पराली न जलाने पर उन्होंने कहा कि जनपद के किसान सहयोग कर रहे हैं.


खाद-बीज का हो पारदर्शी वितरण
जिलाधिकारी ने कहा कि प्रयास है कि आगामी रबी की फसल के दौरान खाद, बीज की पर्याप्त व्यवस्था रहे और उनका वितरण पारदर्शी ढंग से हो. शासकीय लाभ, सब्सिडी आदि सीधे डीबीटी के माध्यम से खाते में पहुंचे. सरकार की नीति है और सभी के सहयोग से यह व्यवस्था पिछले कुछ सालों से चल रही है.

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