सीतापुर: इसे सुखद संयोग ही कहा जायेगा कि इस बार नवरात्र में देवी भक्तों को दो बार मां धूमावती के दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा. नैमिषारण्य के कालीपीठ स्थित मां धूमावती का दरबार सजा हुआ है. शारदीय नवरात्र का पहला दिन शनिवार होने के कारण लोग मां धूमावती का दर्शन कर कृतार्थ हो रहे हैं. नवरात्र में पड़ने वाले शनिवार को ही मां धूमावती के दर्शन का विधान है. इस बार शारदीय नवरात्र में शनिवार दिन 17 और 24 अक्टूबर को पड़ रहा हैं.
नवरात्र में दो बार होंगे मां धूमावती के दर्शन. पीताम्बरा पीठ दतिया की तर्ज पर नैमिषारण्य के कालीपीठ में भी मां धूमावती का दरबार बना हुआ है. देवी धूमावती की उत्पत्ति के बारे में पौराणिक मान्यता है कि एक बार मां पार्वती को बहुत तेज भूख लगी हुई थी, लेकिन कैलाश पर्वत पर उस समय कुछ न होने के कारण वे अपनी भूख शांत करने के लिए भगवान शंकर के पास जाती हैं और उनसे भोजन की मांग करती हैं. उस समय भगवान शंकर समाधि में लीन थे. इसलिए उन्होंने पार्वती जी के आग्रह पर कोई ध्यान नहीं दिया. भूख से व्याकुल मां पार्वती श्वांस खींचकर शिवजी को ही निगल जाती हैं. भगवान शिव के कंठ में विष होने के कारण मां के शरीर से धुआं निकलने लगता है और उनका स्वरूप श्रृंगारविहीन और विकृत हो जाता है. तभी से माता पार्वती का यह स्वरूप मां धूमावती के नाम से विख्यात हुआ. प्रत्येक नवरात्र के शनिवार को उनके दर्शन का विधान है. केवल नवरात्र में ही शनिवार के दिन दर्शन की परंपरा है।कालीपीठ के पुजारी गोपाल शास्त्री ने बताया कि इस दिन यहां काले कपड़े में तिल की पोटली बनाकर अर्पित करने का विधान है, ताकि मां धूमावती भक्त के सारे संकटों का निवारण करें. उनकी सवारी भी कौआ है. माता का यह वैधव्य स्वरूप है. उनके दर्शन सिर्फ नवरात्र के शनिवार को ही किए जाते हैं. हरदोई से आईं देवी भक्त स्वाति तिवारी ने बताया कि वह काफी समय से यहां नवरात्र के शनिवार को दर्शन के लिए आ रही हैं और माता जी की कृपा से उनके संकटों का निवारण हो रहा है.