सीतापुर: सूबे की राजधानी से सटे सीतापुर में मक्के की फसल को तबाह करने वाले कीट फॉल आर्मी वर्म ने आमद दर्ज करा दी है. इस कीट ने मक्के की फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. जिससे किसानों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों के माथे पर चिंता की लकीरें गहराने लगी हैं. फिलहाल इस कीट का दुष्प्रभाव मक्का के साथ गन्ने की फसल पर भी देखा जा रहा है, लेकिन आने वाले समय मे करीब एक दर्जन फसलों को नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है.
फसलों पर फॉल आर्मी वर्म का हमला. सीतापुर के गांजरी क्षेत्र को बनाया निशाना
फॉल आर्मी वर्म नामक कीट ने करीब तीन साल पहले अफ्रीका में मक्का की फसल को बर्बाद किया था. इसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में इसका दुष्प्रभाव सामने आया था, लेकिन इस बार इस कीट ने सीतापुर के गांजरी क्षेत्र को अपना निशाना बनाया है.
वैज्ञानिकों ने फॉल आर्मी वर्म के रूप में की पहचान
जनपद मुख्यालय से करीब पैंसठ किलोमीटर दूर सकरन ब्लॉक के बरबटा और जालिमपुर गांव के खेतों में खड़ी मक्के की फसल पर इसका खासा असर देखा जा रहा है. इस इलाके के किसान नंद किशोर ने अपने खेत और मक्के की फसल में एक खास किस्म का कीट देखकर कृषि विज्ञान केंद्र कटिया मानपुर के वैज्ञानिकों से अपनी समस्या बताई. इस पर उन्होंने फसल का जायजा लेने के बाद इसकी पहचान फॉल आर्मी वर्म नामक कीट के रूप में की है.
इन फसलों को पहुंचाता है नुकसान
कीट की पहचान करने वाले कृषि वैज्ञानिक दया शंकर श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत को खास बातचीत में बताया कि यह कीट आमतौर पर एक दर्जन फसलों को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन मक्का और गन्ना की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है क्योंकि यह उसकी पहली पसन्द है. इसके बाद यह कीट चावल, ज्वार, गोभी, चुकन्दर, मूंगफली, सोयाबीन, प्याज, टमाटर, आलू और कपास आदि फसलों को भी नुकसान पंहुचाता है.
ऐसे करें पहचान
इसकी पहचान आदि की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह सुंडी की तरह दिखाई देता है. इसके सिर के अग्रभाग पर उल्टे वाई का निशान दिखाई देता है और शरीर के पृष्ठ भाग पर आंठवे उदर खण्ड पर चार काले वर्गाकार बिंदु दिखाई देते हैं.
सूर्य अस्त होने के बाद फसलों को करता है नुकसान
यह कीट जहां से तना निकलता है वहीं से उस फसल को खाना शुरू करता है और पौधे के काफी अंदर छिपकर बैठता है. यह सूर्य अस्त होने के बाद अंदर से बाहर निकलता है और बड़ी तेजी से फसल को नुकसान पहुंचाता है. पौधे की पत्तियों पर मल से भी इसकी पहचान की जा सकती है. उन्होंने यह भी बताया कि आकार में यह कीट भले ही छोटा हो लेकिन यह बहुत ही तेजी से फसल को नष्ट करता है और अपनी आबादी भी बहुत तेजी से बढ़ाता है.
फसले हो गईं बर्बाद
सकरन ब्लॉक का यह पूरा इलाका मक्के की फसल का प्रमुख केंद्र है. मौर्य बिरादरी के बाहुल्य वाले इस गांव के लोग इसके अलावा गन्ने और सब्जियों की पैदावार करते हैं. किसानों ने बताया कि उनकी बहुत सारी फसल को इस कीट ने नुकसान पंहुचाया है. खेत में खड़ी पूरी की पूरी फसल इसके प्रकोप से बर्बाद हो गई है. इसके चलते यहां के किसान मक्के के बाद दूसरी फसलों के नुकसान की आशंका से भी काफी चिंतित हैं.
मई 2018 में कर्नाटक में देखा गया था पहली बार
कृषि वैज्ञानिक दया शंकर श्रीवास्तव ने बताया कि भारत मे इस कीट को पहली बार मई 2018 में कर्नाटक के शिवमौगा जिले में मक्के की फसल में देखा गया था. उसके बाद तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और मिजोरम में भी इसके प्रभाव को देखा गया. अब उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में इसका पाया जाना काफी चिन्ताजनक है.
रोकथाम से कर सकते हैं बचाव
वैज्ञानिकों काकहना है कि इस कीड़े के नियंत्रण के लिए अभी खोज की जा रही है, लेकिन फिलहाल किसान कुछ जैविक और रासायनिक उपाय करके इसके प्रकोप से बचाव कर सकते हैं. किसानों को सबसे पहले अपने खेतों और फसलों की सघन निगरानी करनी होगी. उसके बाद रोकथाम के उपायों पर ध्यान देना होगा. इस कीड़े का प्रकोप जुलाई से सितम्बर माह के बीच अधिक रहता है. इस कीट के प्रकोप से परेशान होकर श्रीलंका ने अपने देश मे मक्के की फसल के उत्पादन और आयात पर रोक लगा दी है.