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कोरोना की मार से चाइनीज राखी का व्यापार चौपट, स्वदेशी की बढ़ी रौनक

रक्षाबंधन पर इस साल बाजारों में त्योहार की रौनक कोरोना की भेंट चढ़ गई है. वहीं इस साल राखी पर चाइनीज राखियों का चलन खत्म हो गया है, स्वदेशी राखियों से बाजारों की चमक बनी हुई है.

स्वदेशी उत्पादों का हो रहा इस्तेमाल.
स्वदेशी उत्पादों का हो रहा इस्तेमाल.

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Published : Aug 2, 2020, 12:08 PM IST

सीतापुर:सोमवार को भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन है. कोरोना वायरस ने इस बार की राखी को थोड़ी फीकी कर दी है. पहले की अपेक्षा बाजारों में लोग कम दिख रहे हैं. वहीं भारत-चीन के बीच चल रहे तनाव के कारण इस बार चाइनज राखी को बाजार से बहिष्कृत कर दिया गया है. इस बार लोग स्वदेशी राखियों की मांग कर रहे हैं.

बाजारों से चाइनीज राखियां गायब हैं.

हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार की काफी मान्यता है. भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन के त्योहार को मात्र एक दिन रह गए हैं. इस बार लॉकडाउन के चलते जिले का बाजार वीरान पड़ा है. पिछले कुछ वर्षों में राखी के व्यापार पर चाइना का प्रोडक्ट पूरी तरह से हावी हो गया था. लोग सस्ती दरों पर आकर्षक राखियां खरीदते थे, लेकिन चाइनीज प्रोडक्ट्स के बहिष्कार करने पर इस बार राखी पर स्वदेशी का रंग चढ़ा है.

स्वदेशी राखी की ओर झुके लोग.

भारत-पाक सीमा पर तनाव के कारण लोग चाइनीज राखी का व्यापार करने से बच रहे हैं. बाजारों से चाइनीज राखियां गायब हैं. राखी के थोक व्यापारी यश का कहना है कि कोरोना के पहले चाइनीज राखियों का खूब व्यापार होता था, लेकिन अब बाजार में चाइनीज उत्पादों का चलन कम है. जनता के मूड को भांपते हुए भारतीय राखी को तवज्जो दी गई है.

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