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आचार्य नरेन्द्र देव जयंती: सीतापुर में जन्मे थे समाजवादी चिंतक और प्रख्यात शिक्षाविद

प्रख्यात शिक्षाविद के रूप में पहचान रखने वाले आचार्य नरेन्द्र देव का जन्म सीतापुर में हुआ था. आचार्य नरेन्द्र देव 1947 में लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी नियुक्त हुए थे.

आचार्य नरेन्द्र देव की जयंती.

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Published : Oct 31, 2019, 8:07 AM IST

सीतापुर: समाजवादी चिंतक और विचारक के साथ ही प्रख्यात शिक्षाविद के रूप में पहचाने जाने वाले आचार्य नरेन्द्र देव 31 अक्टूबर को सीतापुर के मुरली निवास में जन्मे थे. योग्यता के बल पर न सिर्फ वे लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति रहे बल्कि समाजवादी विचारधारा को नई दिशा देने में भी उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई. समाज में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.

आचार्य नरेन्द्र देव की जयंती.

अखिल भारतीय कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी
आचार्य नरेन्द्र देव का जन्म 31 अक्टूबर 1889 को शहर के मोहल्ला तामसेनगंज स्थित मुरली निवास में हुआ था. उनके पिता पेशे से वकील थे और मुरली निवास में किराए पर रहते थे. बाद में वे फैज़ाबाद चले गए और आचार्य की प्रारंभिक शिक्षा फैज़ाबाद में ही हुई. उन्होंने वर्ष 1911 में इलाहाबाद से बीए,1913 में क्वींस कालेज़ काशी से एमए, 1915 में इलाहाबाद से एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की. 1930 में वो सविनय अवज्ञा आंदोलन में पहली बार जेल गए और 1932 में वे दोबारा जेल गए. आचार्य नरेन्द्र देव 17 मई 1934 को अखिल भारतीय कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना कर सम्मेलन के अध्यक्ष बने. वर्ष 1936 में यूपी प्रान्तीय कांग्रेस के अध्यक्ष और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य भी मनोनीत हुए.

लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति थे आचार्य नरेंद्र देव

वर्ष 1937 में संयुक्त प्रांत विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में गिरफ्तार हुए. 8 अगस्त 1942 को आचार्य नरेन्द्र देव कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों के साथ गिरफ्तार होकर अहमदनगर जेल में नज़रबंद हुए. 1946 में आचार्य जी संयुक्त प्रान्त विधानसभा के निर्विरोध सदस्य निर्वाचित हुए और 1947 में लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त हुए. 1952 में वह बनारस विश्वविद्यालय के उपकुलपति और राज्यसभा में एमपी निर्वाचित हुए. इसी वर्ष आचार्य जी चीनी सांस्कृतिक मिशन में चीन यात्रा पर गए. आचार्य नरेन्द्र देव वर्ष 1955 में प्रसोपा सम्मेलन के अध्यक्ष बने और 19 फरवरी 1956 में पेंदुराई मद्रास में उनका देहावसान हुआ.

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