सीतापुर:वैलेंटाइन डे को प्यार का पर्व माना जाता है. लोग अलग-अलग तरीके से इजहार-ए-मोहब्बत करते हैं और इस दिन को यादगार बनाने के लिए कुछ खास करने की कोशिश भी करते हैं. आगरा के ताजमहल को प्यार की निशानी माना जाता है. आज हम रूबरू कराते हैं एक ऐसे शख्स की दीवानगी से, जिसने अपनी पत्नी की बेपनाह मोहब्बत में उसके निधन के बाद उसका मंदिर ही बनवा डाला.
पत्नी की याद में फौजी ने बनवाया मंदिर. पत्नी के प्यार की यह अनूठी मिसाल पेश करने वाला अनोखा मंदिर पिसावां इलाके के फरीदपुर गांव में स्थित है. फौज से रिटायर हुए फरीदपुर गांव के मूल निवासी आरडी मिश्रा अपनी पत्नी आशा देवी से बेपनाह मोहब्बत करते थे. 30 जनवरी 2007 को आशा देवी का निधन हो गया था. उनके निधन के बाद आरडी मिश्रा काफी टूट गए थे, लेकिन पत्नी का अहसास हर समय अपने साथ रखने के लिए वह उनकी एक फोटो साथ लेकर चलने लगे. कार ड्राइव करते समय वह आगे की सीट पर आशा देवी की फोटो रखते थे और इस सीट पर किसी को भी बैठने की इजाजत नहीं थी.
वर्ष 2008 में रिटायर्ड रामेश्वर दयाल मिश्रा ने गांव के बाहर सड़क पर अपनी पत्नी के मंदिर का निर्माण कराया. इसमें तीन छोटी-बड़ी प्रतिमाओं की स्थापना कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा कराई गई थी. इस मंदिर में हर दीवार पर आशा देवी की फोटो टंगी हुई है. वहीं दो फोटो ऐसी भी लगी हैं, जिसमें आशा देवी के साथ रामेश्वर दयाल मिश्रा भी हैं.
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मंदिर की देखरेख करने वालों ने बताया कि वर्ष 2012 में रामेश्वर दयाल मिश्रा की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. उनके निधन के बाद से यह मंदिर उपेक्षा का शिकार हो गया. आरडी मिश्रा के जीवनकाल में जहां इस मंदिर में सफाई-सफाई और पूजा-पाठ होता था, वहीं अब मूर्तियों को सफाई की भी दरकार है. उनके तीन बेटे हैं, जिनमें से एक डॉक्टर है, जबकि दो बेटे फौज में ही हैं. आरडी मिश्रा द्वारा पत्नी की बेपनाह मोहब्बत की निशानी के तौर पर स्थापित कराया यह अनूठा मंदिर आज भी प्रेम की एक मिसाल पेश कर रहा है.