सीतापुर: स्वतंत्रता आंदोलन के लिहाज से 18 अगस्त की तारीख सीतापुर के लिए काफी अहम है. इसी दिन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन कर रहे सैकड़ों लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज और फायरिंग की थी, जिसमें छह लोग शहीद हुए थे. जिले में शहीदों के नाम शहीद पार्क पर अंकित हैं. शहीदों की याद में हर वर्ष कार्यक्रम आयोजन किया जाता है. इस साल कोरोना के संक्रमण के कारण सिर्फ रस्मअदायगी ही की गई.
देश की आज़ादी में सूबे की राजधानी से सटे सीतापुर का अहम किरदार रहा है. महात्मा गांधी के आह्वान पर जब पूरे देश में आंदोलन छिड़ा था तो सीतापुर में भी स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी शोले का रूप ले रही थी. 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा दिया था, जिसके बाद लोगों की चेतना इस कदर जागृत हुई कि लोग ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बगावत कर बैठे. इसी दौरान 18 अगस्त को सीतापुर जिले के तमाम स्वतंत्रता प्रेमी तत्कालीन मोतीबाग पार्क में अंग्रेजों के खिलाफ सभा करने के लिए इकठ्ठा हुए. तत्कालीन प्रशासन ने उन्हें जब रोकने की कोशिश की तो दोनों ओर से विवाद शुरू हो गया. पुलिस की ओर से लाठीचार्ज और उसके बदले में स्वतंत्रता आंदोलनकारियों की ओर से पथराव हुआ. इस पथराव में एक पत्थर तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर कैलाश चंद्र के हैट पर लगा तो उन्होंने फायरिंग का आदेश दे दिया. पुलिस की इस फायरिंग में छह लोग मौके पर ही शहीद हो गए, जबकि सैकड़ों लोग लहूलुहान हो गए.